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Date: 
18.01.2017
City: 
New Delhi

पारदर्शिता का असर देश की 21 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले 20,000 रुपये से अधिक के चंदे पर पड़ा है। इन दलों को मिलने वाले बड़े चंदे में 20 फीसदी की गिरावट आई है।

क्षेत्रीय दलों को 2015-16 वित्त वर्ष के दौरान के दौरान 20,000 रुपये से अधिक का कुल 107.62 करोड़ रुपये चंदा मिला। इससे पूर्व के वर्ष में इन्हें कुल 134.86 करोड़ रुपये मिले थे।

लोकतांत्रिक सुधार संघ (एडीआर) द्वारा कराए गए अध्ययन में चंदे में आई गिरावट का पता चला है। एडीआर ने राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए ब्योरे का अध्ययन किया है।

नियमानुसार 20,000 रुपये से कम के चंदे का ब्योरा सौंपना जरूरी नहीं है। लेकिन आयकर रिटर्न में इसका उल्लेख जरूरी होता है। राजनीतिक दलों को आयकर का भुगतान नहीं करना होता है।

एडीआर के मुताबिक, सबसे ज्यादा चंदा शिवसेना को मिला है। इस पार्टी को 86.64 करोड़ रुपये चंदा मिला जबकि आम आदमी पार्टी को मात्र 6.605 करोड़ रुपये ही मिले।

चुनाव आयोग को सौंपे गए चंदे के ब्योरे के अनुसार, बीजू जनता दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नगा पीपुल्स फ्रंट और राष्ट्रीय लोक दल को 2014-15 में चंदे के रूप में कुल 25.56 करोड़ रुपये मिले थे।

लेकिन इन पार्टियों को 2015-16 के दौरान 20,000 रुपये से ज्यादा का चंदा नहीं मिला। अन्ना द्रमुक ने घोषित किया है कि उसे 2014-15 और 2015-16 में 20,000 रुपये ज्यादा का चंदा नहीं मिला।

इससे पहले दिसंबर में एडीआर की रिपोर्ट में बताया गया था कि देश की सात राष्ट्रीय पार्टियों को चंदे में 2015-16 के दौरान 20,000 रुपये से अधिक कुल 102.2 करोड़ रुपये मिले।

पूर्व वित्त वर्ष में इन पार्टियों को 528.67 करोड़ रुपये मिले थे। राष्ट्रीय पार्टियों के बड़े चंदे में 84 फीसदी की गिरावट आई है।

इन दलों में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी शामिल हैं।

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