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Date: 
16.12.2014
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New Delhi

नई दिल्ली। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने भारतीयों के विदेश में जमा कालाधन की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) को पत्र लिखकर कहा कि चुनाव के दौरान इस्तेमाल होने वाले बेहिसाब पैसों के मुद्दे को सुलझाए बगैर कालाधन के खिलाफ लड़ाई अधूरी ही रहेगी।

कालाधन पर गठित एसआईटी के अध्यक्ष सेवानिवृत्त जस्टिस एमबी शाह को लिखे खत में एडीआर के संस्थापक-ट्रस्टी जगदीप चोकर ने कहा कि देश की चुनावी व राजनीतिक प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाली बेहिसाब दौलत पर ध्यान दिए बगैर एसआईटी का काम पूरा नहीं हो सकेगा।

इस पत्र के बाद एडीआर ने एसआईटी को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें राजनीतिक दलों के खर्चों की ऊपरी सीमा तय करने, उन्हें सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने और चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की आय के स्रोत के खुलासे जैसे उपायों की सिफारिश की गई है।

इसमें कहा गया,"चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों को अज्ञात स्रोतों के जरिए बड़ी तादाद में मिलने वाले बेहिसाब धन का इस्तेमाल पार्टियां गलत तरीके से कर सकती हैं, जिससे भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में साफ-सुथरे व निष्पक्ष चुनाव का आदर्श धरा रह जाएगा। लिहाजा राजनीतिक दलों के चुनावी खर्चों की ऊपरी सीमा तय की जानी चाहिए।"

एडीआर ने कहा कि 2004-05 से 2012-13 के बीच राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के आयकर रिटर्न की समीक्षा से पता चलता है कि पार्टियों की अज्ञात स्रोतों से कुल आय 4,368.75 करोड़ रुपये (सभी दलों की कुल आय का करीब 73 फीसद) रही।

इसमें यह भी कहा गया कि उम्मीदवारों व पार्टियों की ओर से चुनाव व्यय का ब्यौरा समय पर भरा जाना चाहिए। एडीआर ने कहा कि राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली को मजबूत करने के लिए एक व्यापक विधेयक की आवश्यकता है।

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