जानकारी के अनुसार पोलिंग बूथ के बाहर एक फ्लैक्स या बैनर पर सभी उम्मीदवारों के बारे में संबंधित ब्यौरा दिया जाएगा। जिसमें शिक्षा, आपराधिक रिकार्ड (यदि है तो), संपत्ति, देनदारी वगैरह शामिल होगी। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर की एमपी इकाई की संयोजक रोली शिवहरे कहती हैं, यह स्वागत योग्य कदम है। अन्य राज्यों को भी यह लागू करना चाहिए। मतदाताओं की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे आपराधिक तत्वों को राजनीति में आगे बढ़ने से रोकें। इस व्यवस्था से वोटरों में जागरूकता आएगी। बेहतर होगा कि यह नियम विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी लागू हो।
हालांकि जानकार बताते हैं कि इस कवायद में चूंकि बड़ा बजट चाहिए, लिहाजा निर्वाचन आयोग ने 11 अगस्त को होने वाले नगरीय व पंचायत चुनावों के लिए ही लागू किया है। आगे होने वाले चुनावों के बारे में सरकार की मंजूरी के बाद ही फैसला होगा। राज्य में करीब चार सौ नगरीय निकाय व 24 हजार पंचायतें हैं। जाहिर है चुनाव में हजारों प्रत्याशी भाग्य आजमाते हैं। लिहाजा बजट का अनुमान लगाने के बाद मुमकिन है कि इसे अनिवार्य कर दिया जाए।