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एडीआर ने 21 जनवरी 2022 (शुक्रवार), शाम 4 बजे "धनबल, बाहुबल और अपराधीकरण का राजनीति और लोकतंत्र पर दुष्प्रभाव" पर एक हिंदी वेबिनार आयोजित किया था।

संचालक: प्रोफेसर त्रिलोचन शास्त्री, एडीआर के फाउंडर मेम्बर, अध्यक्ष व ट्रस्टी

वक्ता गण:

  1. डॉ. नसीम ज़ैदी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत निर्वाचन आयोग
  2. श्री शक्ति कांत, पूर्व जिला न्यायाधीश, कोर टीम मेंबर उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच
  3. प्रोफेसर निरंजन साहू, आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो
  4. श्री शरद गुप्ता, लोकमत ग्रुप ऑफ पब्लिकेशन में सीनियर संपादक
वेबिनार के दौरान, हम निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करना चाहते हैं:
  1. एडीआर की रिपोर्ट पर चर्चा (विशेष रूप से प्रमुख निष्कर्षों पर प्रकाश डालते हुए) जिसमें ऐसे "सांसदों/विधायकों का विश्लेषण किया ग या है जिन्होंने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, व जिनके ऊपर आर. पी. अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) (2) और (3) के तहत आरोप तय किए गए हैं।
  2. उन उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित क्यों नहीं किया जाता, जिनके खिलाफ न्यायालय द्वारा कम से कम 5 वर्ष के कारावास के जघन्य अपराधों के आरोप लगे है और जो मामला चुनाव से कम से कम 6 महीने पहले दायर किया गया है?
  3. बलात्कार, हत्या, डकैती आदि जैसे जघन्य अपराधों वाले निर्वाचित प्रतिनिधियों को स्थायी रूप से अयोग्य घोषित करने में संस्थाएं विफल क्यों हो रही हैं?
  4. भारतीय राजनीति में बढ़ती आपराधिकता को कैसे रोका जाए?
  5. राजनीतिक दल सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना क्यों कर रहे हैं?
  6. राजनीतिक दल विशेष रूप से गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को टिकट क्यों देते हैं?
  7. मतदाता अपने खिलाफ आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को वोट क्यों देते हैं ? इस प्रवृत्ति को कैसे बदले?
  8. एडीआर की सिफारिशें
वेबिनार में भाग लेने के लिए, नीचे दिए गए सोशल मीडिया आइकन में से किसी एक पर क्लिक करें:
एजेंडा के लिए >>>क्लिक करें >>>
Date
Time
4:00 PM
Venue
YouTube & Facebook Live
Topic
"धनबल, बाहुबल और अपराधीकरण का राजनीति और लोकतंत्र पर दुष्प्रभाव"

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