जब बात आर्थिक संपन्नता की आती है तो दक्षिणी राज्य इस पैमाने पर बाजी मार ले जाते हैं। दक्षिणी राज्यों की यह संपन्नता उनके नेताओं में भी दिखती है। एडीआर की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि दक्षिणी राज्यों के 711 विधायकों की औसत वार्षिक आय लगभग 52 लाख रुपये है, जबकि पूर्वी राज्यों के 614 विधायकों की वार्षिक आय महज साढ़े आठ लाख रुपये ही है। अगर सबसे ज्यादा धनी विधायकों वाले राज्य की बात करें तो कर्नाटक इस मामले में सबसे ऊपर है जिसके विधायकों की वार्षिक आय करोड़ों में है। औसतन कर्नाटक के 203 विधायकों की औसत आय प्रतिवर्ष 111.4 लाख रुपए है। महाराष्ट्र इस मामले में दूसरे नंबर पर आता है जिसके विधायकों की आय 43.4 लाख रुपये वार्षिक है। वहीं छत्तीसगढ़ के 63 विधायक सबसे कम आय वाले हैं। एडीआर के मुताबिक इनकी वार्षिक आय महज 5.4 लाख रुपये ही है। एडीआर ने अपने शोध में पाया है कि देश के कम शिक्षित विधायक ज्यादा पढ़े लिखे विधायकों की तुलना में ज्यादा अमीर हैं। जानकारी के मुताबिक 1052 विधायक जिनकी औपचारिक शिक्षा बारहवीं तक ही है, उनकी वार्षिक आय 31 लाख रुपये प्रतिवर्ष है जबकि ग्रेजुएट या उससे अधिक पढ़े-लिखे विधायकों की वार्षिक आय 21 लाख रुपये से भी कम है। जिन विधायकों ने अपने हलफनामों में खुद को बिल्कुल निरक्षर बताया है, उनकी वार्षिक आय 9.31 लाख रुपये ही है। कुल विधायकों के महज आठ फीसदी विधायक ही महिलाएं हैं। अगर वार्षिक आय की बात करें तो पुरुष विधायकों की आय 25.85 लाख रुपये है जबकि महिलाओं की वार्षिक आय 10.53 लाख रुपये ही है।
देश के नेताओं और चुनावी गतिविधियों से जुड़े अध्ययन करने वाली संस्था एडीआर ने दावा किया है कि उसने इस अध्ययन के लिए 4086 वर्तमान विधायकों में से 3145 विधायकों के हलफनामे को अध्ययन करने के बाद यह परिणाम पाया है। एडीआर के मुताबिक इनमें से 941 विधायक ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी वार्षिक आय का स्पष्ट विवरण नहीं दिया है। एडीआर ने अपनी संस्तुति में सरकार से सभी जनप्रतिनिधियों के लिए वार्षिक आय घोषित करना अनिवार्य किये जाने का आग्रह किया है।