राज्य विधानसभा चुनावों में नोटा के तहत औसतन 64,53,652 वोट डाले गए. वहीं, लोकसभा चुनावों में बिहार की गोपालगंज सीट पर सबसे अधिक 51,660 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना जबकि लक्षद्वीप लोकसभा सीट पर सबसे कम 100 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया.
देश में विधानसभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा का चुनाव हो, अक्सर देखा जाता कि वोटर बड़ी संख्या में नोटा (NOTA) विकल्प का चुनाव कर रहे हैं. भ्रष्टाचार में संलिप्त नेताओं और जनता के लिए ठीक से काम न करने का यह सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है. पिछले पांच साल में आम चुनाव और राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान करीब 1.29 करोड़ मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना. यह जानकारी एडीआर की रिपोर्ट में सामने आई है. एडीआर (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) ने 2018 से 2022 के दौरान विभिन्न चुनावों में ‘नोटा’ विकल्प के तहत डाले गए वोटों की संख्या का विश्लेषण किया.
इस खबर में है खास-
- गोपालगंज सीट पर सबसे अधिक चुना गया नोटा का विकल्प
- 2022 के विधानसभा चुनाव में 0.70 फीसदी नोटा गया चुनाव
- 2018 से अब तक 26,77,616 वोटर ने चुना NOTA
गोपालगंज सीट पर सबसे अधिक चुना गया नोटा का विकल्प
रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में राज्य विधानसभा चुनावों में नोटा के तहत औसतन 64,53,652 वोट डाले गए. वहीं, लोकसभा चुनावों में बिहार की गोपालगंज सीट पर सबसे अधिक 51,660 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना जबकि लक्षद्वीप लोकसभा सीट पर सबसे कम 100 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया. रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा चुनावों के दौरान 2020 में दो राज्यों में सर्वाधिक 1.46 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना, जिसमें बिहार विधानसभा चुनाव में 7,06,252 जबकि दिल्ली में 43,108 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया.
2022 के विधानसभा चुनाव में 0.70 फीसदी नोटा गया चुनाव
इसके मुताबिक, 2022 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे कम लोगों ने नोटा का विकल्प चुना. इनमें 0.70 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना, जिसमें गोवा में 10,629, मणिपुर में 10,349, पंजाब में 1,10,308, उत्तर प्रदेश में 6,37,304 और उत्तराखंड में 46,840 मतदाताओं ने ईवीएम में नोटा का बटन दबाया. रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे अधिक 7,42,134 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना. वहीं, 2018 के मिजोरम विधानसभा चुनाव के दौरान नोटा के तहत सबसे कम 2,917 वोट डाले गए.
2018 से अब तक 26,77,616 वोटर ने चुना NOTA
इसके मुताबिक, 2018 में छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना जोकि 1.98 फीसदी रहा. वहीं, दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2020 और मिजोरम विधानसभा चुनाव, 2018 में नोटा के तहत सबसे कम प्रतिशत यानी 0.46 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया. एडीआर के मुताबिक, 2018 से लेकर अब तक विधानसभा चुनावों के दौरान ऐसी सीटों पर 26,77,616 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना, जहां चुनाव लड़ रहे तीन या इससे अधिक उम्मदीवारों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे थे.