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एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2004 और लोकसभा चुनाव 2014 के बीच राजनीतिक दलों को मिले चंदे में 478 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.

सोमवार को जारी एडीआर के नई रिपोर्ट के मुताबिक 2004 के लोकसभा चुनाव में 38 राजनीतिक दलों ने 253.46 करोड़ रुपये चंदा एकत्र किया जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की कुल आय 1463.63 करोड़ रुपये रही.

2004 के लोकसभा चुनाव में 42 दलों ने हिस्सा लिया था जबकि 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 45 हो गया. इसके अलावा 2009 के लोकसभा चुनाव में 41 राजनीतिक दलों ने चंदे के रूप में 638.26 करोड़ रुपये एकत्र किए.

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राजनीतिक दलों को अपने चुनाव खर्च का विवरण विधानसभा चुनाव की अंतिम तिथि से 45 दिन के अंदर और लोकसभा चुनाव के अंतिम तिथि से 90 दिन के अंदर चुनाव आयोग में जमा करना होता है.

एडीआर ने 2004 से 2015 के बीच हुए लोकसभा और विधान सभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के आय और व्यय का अध्ययन किया है. इस बीच तीन लोकसभा चुनाव और 71 विधानसभा चुनाव हुए हैं.

 
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2004 से 2015 के बीच हुए 71 विधानसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों ने कुल 3368.06 करोड़ रुपये जमा किया था, जबकि इन दलों ने 2727.79 करोड़ रुपये अपना चुनावी खर्चा बताया था.

पिछले तीन लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों में समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, अन्नाद्रमुक, बीजू जनता दल और शिरोमणि अकाली दल को सबसे ज्यादा चंदा मिला है और इन्हीं दलों ने सबसे ज्यादा खर्च भी किया है.

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इन पांच दलों को 267.14 करोड़ रुपये मिले हैं जो सभी क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित आया का 62 फीसदी है. एक ही लोकसभा चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी को 2014 में 51.83 करोड़ रुपये चंदे के रुप में मिली थी.

2004 और 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान क्षेत्रीय दलों द्वारा चुनाव आयोग को जमा किए गए चुनावी खर्च विवरण के अनुसार समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस को सबसे ज्यादा चंदा मिला है और इन्हीं दलों से सबसे ज्यादा खर्च किया है.

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राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को जमा किए गए चुनावी खर्च विवरण के अनुसार समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस को सबसे ज्यादा चंदा मिला है और इन्हीं दलों से सबसे ज्यादा खर्च किया है.

इन पांच दलों ने सामूहिक रूप से 291.92 करोड़ रुपये प्राप्त किया जो सभी क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित कुल आय का 82 फीसदी था.

शीर्ष पांच क्षेत्रीय पार्टियों में सपा को सबसे ज्यादा 186.50 करोड़ रुपये मिले जबकि आम आदमी पार्टी दूसरे स्थान पर रही. आप को 38.54 करोड़ रुपये चंदे में मिले.

शीर्ष पांच क्षेत्रीय पार्टियों में सपा को सबसे ज्यादा 186.50 करोड़ रुपये मिले जबकि आम आदमी पार्टी दूसरे स्थान पर रही. आप को 38.54 करोड़ रुपये चंदे में मिले.

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कई बार राजनीतिक दल चुनाव आयोग को चुनावी खर्च का ब्यौरा मुहैया नहीं कराते हैं. राष्ट्रीय दलों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) ने दो विधानसभा चुनावों में आय-व्यय का आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया है.

क्षेत्रीय दलों में जनता दल यूनाइटेड (2015 विधानसभा चुनाव), लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और शिवसेना ने 2009 विधानसभा चुनाव में खर्च की गई राशि का ब्यौरा चुनाव आयोग को नहीं दिया है.

क्षेत्रीय दलों में जनता दल यूनाइटेड (2015 विधानसभा चुनाव), लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और शिवसेना ने 2009 विधानसभा चुनाव में खर्च की गई राशि का ब्यौरा चुनाव आयोग को नहीं दिया है.