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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि संसद और विधानसभा में दागी नेताओं की एंट्री रोकने के लिए कानून बनाने की आवश्यकता है और तमाम राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट पर नेताओं के आपराधिक रिकॉर्ड का ब्योरा डालें.

दागी नेताओं के चुनाव लड़ने से रोकने संबंधी याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के हाई कोर्ट से सांसदों और विधायकों के लंबित मामलों के जल्द निपटारे के लिए सेशन और मजिस्ट्रेट कोर्ट स्थापित करने के निर्देश दिए हैं.  सुप्रीम कोर्ट ने इन सेशन कोर्ट से सांसदों और विधायकों के मामलों को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं.

इससे पहले एमिकस क्यूरी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में बताया था कि देश भर में दागी नेताओं के खिलाफ कुल 4122 आपराधिक मुकदमे अदालतों में चल रहे हैं.  

एमीकस क्यूरी विजय हंसरिया और स्नेहा कलिता ने राज्यों और हाई कोर्ट से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राजनेताओं के खिलाफ कुल 4122 आपराधिक मामले में लंबित हैं. वहीं, 1991 मामले ऐसे हैं जिनमें आरोप तय नहीं हुए हैं और 264 मामले ऐसे हैं जिनके ट्रायल पर हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाई गई है.

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगा. कोर्ट ने राज्यों और हाइकोर्ट से विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों पर विस्तृत आंकड़ों की मांग की थी ताकि इन मामलों में जल्द ट्रायल पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना को सक्षम बनाया जा सके. बता दें कि दागी नेताओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में चार्जशीट के आधार पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

देश में कितनी है दागी नेताओं की संख्या?

गौरतलब है कि चुनाव सुधार के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की तरफ से देश के कुल 4896 जन प्रतिनिधियों में से 4852 के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया गया. जिसमें कुल 776 सांसदों में से 774 और 4120 विधायकों में से 4078 विधायकों के हलफनामों का विश्लेषण शामिल है.

ADR की इस रिपोर्ट में 33 फीसदी यानी 1581 जनप्रतिनिधियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से सांसदों की संख्या 98 है जबकि 35 लोगों पर बलात्कार, हत्या और अपहरण जैसे संगीन आरोप हैं.