नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि आपराधिक मामलों के दोषी नेताओं पर आजीवन पाबंदी लगाने के अलावा निर्वाचित जन प्रतिनिधियों से जुड़े आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन करने की एक जनहित याचिका में मांग की गई है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ ने कहा कि वह दोषी निर्वाचित जन प्रतिनिधियों पर आजीवन पाबंदी लगाने के पहलू पर चार दिसंबर को विचार कर सकती है। पीठ
नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि आपराधिक मामलों के दोषी नेताओं पर आजीवन पाबंदी लगाने के अलावा निर्वाचित जन प्रतिनिधियों से जुड़े आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन करने की एक जनहित याचिका में मांग की गई है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ ने कहा कि वह दोषी निर्वाचित जन प्रतिनिधियों पर आजीवन पाबंदी लगाने के पहलू पर चार दिसंबर को विचार कर सकती है। पीठ ने कहा कि सरकारी नौकरशाह और न्यायिक अधिकारी दोषसिद्धि के बाद वापस नहीं लौट सकते हैं। केन्द्र की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार को निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से जुड़े आपराधिक मामलों की विशेष रूप से सुनवाई करने के लिए विशेष अदालतें गठित करने पर कोई आपत्ति नहीं है। पीठ भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।