यह लोकतंत्र का एक नया रूप है। इस लोकतंत्र में इस बात की चर्चा नहीं होती कि कौन नेता गरीबों के लिए क्या किया। शिक्षा के क्षेत्र में किसने जोड़ लगाया और पानी की समस्याएं किसने दूर की। अब लोकतंत्र में एक नई बात नफरत फैलाने की होने लगी है। किस नेता और किस पार्टी के नेता ज्यादा नफरत फैला रहे हैं इस पर रिपोर्ट तैयार हो रही है।
हाल में ही एडीआर ने एक रिपोर्ट के जरिए खुलासा किया है कि देश के 58 सांसदों और विधायकों ने घोषित किया है कि उनके खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले दर्ज हैं। इनमें मोदी सरकार के मंत्रियों की संख्या सबसे ज्यादा है। बता दें कि लोकसभा के 15 मौजूदा सदस्यों ने अपने खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर मामला दर्ज होने की बात की है। राज्यसभा के किसी भी सदस्य ने अपनी घोषणा में इसका उल्लेख नहीं किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन लोकसभा सदस्यों में दस का ताल्लुक भाजपा और एक-एक का संबंध ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), पीएमके, एआईएमआईएम और शिवसेना से है। एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के 27, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन एवं टीआरएस के छह-छह , तेदेपा एवं शिवसेना के तीन-तीन, एआईटीसी, आईएनसी, जदयू के दो-दो, एआईयूडीएफ, बसपा, द्रमुक, पीएमके और सपा के एक-एक सांसदों एवं विधायकों पर इससे जुड़े मामले दर्ज हैं।
इस सूची में दो निर्दलीय सांसद एवं विधायक भी शामिल हैं। एडीआर ने कहा है कि असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) और बदरुद्दीन अजमल (एआईयूडीएफ) जैसे नेताओं ने अपनी घोषणा में इससे संबंधित मामला दर्ज होने की बात कही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने भी अपने खिलाफ इससे जुड़ा मामला दर्ज होने का उल्लेख किया है। इसके अलावा आठ राज्य मंत्रियों के खिलाफ भी नफरत फैलाने वाले भाषण देने का मामला दर्ज है।