सच तो यही है कि देश के अधिकतर हिंदी पट्टी के राज्य आज भी बीमारू ही है और इसे गोबरपट्टी ही कहा जाता है ।लेकिन इन राज्यों की सरकारों से बात करें तो पाएंगे कि आंकड़ों के जरिए वे अपने राज्यों को विकसित राज्यों से कम नहीं मानते ।उनका कहना है कि उनकी सरकार ने हो इस प्रदेश को बीमारू राज्यों की श्रेणी से बाहर निकालने का काम किया है । ये बयान भी सालों से चल रहे हैं ।लेकिन अभी जब पांच राज्यों के चुनाव सामने हैं और चुनावी रंग में पार्टियां डूबी हुई है ऐसे में एक आंकड़े सबको चौंका रहे हैं ।खासकर एमपी के बारे में ये आंकड़े सामने आए हैं ।एमपी में भी चुनाव होने जा रहे है। यहां विधानसभा की 230 सीटें हैं । एडीआर की रिपोर्ट कहती है कि मध्य प्रदेश में 230 मौजूदा विधायकों में से 186 करोड़पति हैं, इनमें से 107 विधायक सत्तारूढ़ बीजेपी के शामिल हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर और मध्य प्रदेश इलेक्शन वॉच ने सभी 230 मौजूदा विधायकों के आपराधिक, वित्तीय और अन्य पृष्ठभूमि विवरण का विश्लेषण किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्लेषण किए गए 230 मौजूदा विधायकों में से 186 (81 प्रतिशत) करोड़पति हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी के 129 विधायकों में से 107 (83 प्रतिशत), कांग्रेस के 97 विधायकों में से 76 (78 प्रतिशत) और सभी तीन निर्दलीय विधायकों ने एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है। रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में प्रति मौजूदा विधायक की संपत्ति का औसत 10.76 करोड़ रुपये है।
विश्लेषण किए गए 129 बीजेपी विधायकों की प्रति विधायक औसत संपत्ति 9.89 करोड़, विश्लेषण किए गए 97 कांग्रेस विधायकों की औसत संपत्ति 11.98 करोड़, विश्लेषण किए गए एक बीएसपी विधायक की औसत संपत्ति 96.95 लाख रुपये है और तीन निर्दलीय विधायकों की औसत संपत्ति 11.98 करोड़ रुपये है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विजयराघवगढ़ से बीजेपी विधायक संजय सत्येंद्र पाठक ने 226.17 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है, जबकि रतलाम शहर विधानसभा सीट से चेतन्य कश्यप के पास 204.6 करोड़ की संपत्ति है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पंधाना (एसटी) विधानसभा सीट से बीजेपी के मौजूदा विधायक राम दांगोरे के पास 50,749 रुपये की संपत्ति है। वहीं 38 विधायकों ने 1 करोड़ रुपये और उससे अधिक की देनदारी घोषित की है, जबकि कांग्रेस के बैतूल विधायक निलय विनोद डागा, जिनके पास 127.6 करोड़ रुपये की संपत्ति है, पर 54 करोड़ रुपये की देनदारी है।
रिपोर्ट के अनुसार, 62 यानी 33 प्रतिशत विधायकों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता 5वीं और 12वीं कक्षा के बीच घोषित की है, जबकि 158 (64 प्रतिशत) विधायकों ने स्नातक या उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता घोषित की है। चार विधायक डिप्लोमा धारक हैं, जबकि पांच विधायकों ने खुद को सिर्फ साक्षर बताया है और एक विधायक ने खुद को निरक्षर बताया है।
बता दें कि 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी।