एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के उत्तराखंड इलेक्शन वॉच के राज्य समन्वयक मनोज ध्यानी ने कहा कि धन और अपराध की ताकत लोकतंत्र की सेहत को बिगाड़ रही है।
यहां पत्रकार वार्ता में ध्यानी ने कहा कि इसी कारण जनता गरीब होती जा रही है, जबकि जनप्रतिनिधियों की दौलत में बेतहाशा इजाफा हो रहा है। लोकतंत्र जैसी सबसे शानदार व्यवस्था में पनपे इस विरोधाभास से उबरने के लिए सही चुनाव जरूरी है, तभी व्यवस्था सुधरेगी।
इसके लिए लोगों को चुनावों को अपराधमुक्त बनाने के साथ साफ छवि के प्रत्याशियों के पक्ष में आगे आना होगा। तभी प्रजा ही प्रभु है... का नारा सार्थक हो सकेगा। राज्य समन्वयक ने कहा कि राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने के साथ उन्हें मिलने वाले चंदे को पारदर्शी बनाना जरूरी है।
ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड की मौजूदा विधानसभा में आधे सदस्यों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। सदन में धनबल का भी बोलबाला है। 65 प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं। अपराध और रुपयों की ताकत के इस घालमेल से लोकतंत्र अपनी मूल भावना से भटक रहा है।
उम्मीदवारों को नकारने (राइट टू रिजेक्ट) के अधिकार के लिए नन ऑफ दि एबव (नोटा) के बाद अब एडीआर सदस्य को वापस बुलाने का अधिकार (राइट टू रीकॉल) की मांग कर रहा है।
आपराधिक छवि के प्रत्याशी को नकारें
चंपावत। एडीआर के उत्तराखंड इलेक्शन वॉच संस्था इन दिनों अगले साल के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लोगों को जागरूक कर रही है। संस्था स्कूल-कॉलेज, स्टेशन और बाजार में लोगों के बीच जाकर किसी भी दल के आपराधिक छवि के प्रत्याशी को न चुनने के साथ उनसे सवाल पूछकर मतदान की अपील कर रही है।
उसका कहना है कि वोट जरूर दें, लेकिन ध्यान रहे कि वह प्रत्याशी साफ छवि का हो। इस दौरान पत्रक भी बांटे गए। एडीआर के राज्य समन्वयक मनोज ध्यानी के नेतृत्व में चलाए गए जागरूकता अभियान में उत्तराखंड राज्य सेनानी संघ के रविंद्र प्रधान और आरटीआई क्लब के यज्ञभूषण शर्मा शामिल थे। 18 नवंबर को देहरादून से शुरू यह अभियान 10 दिसंबर को वापस देहरादून पहुंचकर संपन्न होगा।