Source: 
Publicdrop
Author: 
Date: 
29.01.2022
City: 
New Delhi

चुनाव सुधारों की वकालत करने वाले समूह एडीआर के अनुसार, भाजपा ने वित्त वर्ष 2019-20 में 4,847.78 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की, जो सभी राजनीतिक दलों में सर्वाधिक है. इसके बाद बसपा ने 698.33 करोड़ रुपये और कांग्रेस ने 588.16 करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा की है.

द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने 2019-20 में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की संपत्ति और देनदारियों के अपने विश्लेषण के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है.

विश्लेषण के अनुसार, वित्तीय वर्ष के दौरान सात राष्ट्रीय और 44 क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित कुल संपत्ति क्रमश: 6,988.57 करोड़ रुपये और 2,129.38 करोड़ रुपये थी.

एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि सात राष्ट्रीय दलों में, सबसे अधिक संपत्ति भाजपा (4847.78 करोड़ रुपये या 69.37 प्रतिशत), बसपा (698.33 करोड़ रुपये या 9.99 प्रतिशत) और कांग्रेस (588.16 करोड़ या 8.42 प्रतिशत) द्वारा घोषित की गई थी.

एडीआर के मुताबिक, 44 क्षेत्रीय दलों में से शीर्ष 10 पार्टियों की संपत्ति 2028.715 करोड़ रुपये या उन सभी द्वारा घोषित कुल संपत्ति का 95.27 प्रतिशत थी.

वित्तीय वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय दलों में समाजवादी पार्टी द्वारा सबसे अधिक संपत्ति 563.47 करोड़ रुपये (26.46 प्रतिशत) घोषित की गई, इसके बाद टीआरएस ने 301.47 करोड़ रुपये और अन्नाद्रमुक ने 267.61 करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा की थी.

वित्तीय वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित कुल संपत्ति में सावधि जमा/एफडीआर का हिस्सा सबसे ज्यादा 1,639.51 करोड़ रुपये (76.99 प्रतिशत) था.

वित्तीय वर्ष के लिए एफडीआर/सावधि जमा श्रेणी के तहत भाजपा और बसपा ने क्रमश: 3,253.00 करोड़ रुपये और 618.86 करोड़ रुपये की घोषणा की, जो सभी राष्ट्रीय दलों में पहले और दूसरे स्थान पर रहे, जबकि कांग्रेस ने 240.90 करोड़ रुपये इस श्रेणी में घोषित किए.

क्षेत्रीय दलों में सपा (434.219 करोड़ रुपये), टीआरएस (256.01 करोड़ रुपये), अन्नाद्रमुक (246.90 करोड़ रुपये), द्रमुक (162.425 करोड़ रुपये), शिवसेना (148.46 करोड़ रुपये), बीजद (118.425 करोड़ रुपये) जैसे राजनीतिक दल एफडीआर/सावधि जमा के तहत उच्चतम संपत्ति घोषित करने वालों में शामिल हैं.

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सात राष्ट्रीय और 44 क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित कुल देनदारी 134.93 करोड़ रुपये है.

एडीआर के मुताबिक, ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने वित्त वर्ष 2019-20 में 74.27 करोड़ रुपये की कुल देनदारियों की घोषणा की. राष्ट्रीय दलों ने उधार के तहत 4.26 करोड़ रुपये और अन्य देनदारियों के तहत 70.01 करोड़ रुपये की घोषणा की. वित्त वर्ष 2019-20 में कांग्रेस ने 49.55 करोड़ रुपये (66.72 प्रतिशत) की अधिकतम कुल देनदारियों की घोषणा की, उसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने 11.32 करोड़ रुपये (15.24 प्रतिशत) की देनदारी की घोषणा की.’

उसके मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय दलों ने कुल 60.66 करोड़ रुपये की कुल देनदारी की घोषणा की.

एडीआर के विश्लेषण के मुताबिक, ‘क्षेत्रीय दलों ने वित्त वर्ष 2019-20 में उधार के तहत 30.29 करोड़ रुपये और अन्य देनदारियों के तहत 30.37 करोड़ रुपये की घोषणा की, जिसमें टीडीपी ने 30.342 करोड़ रुपये (50.02 प्रतिशत) की अधिकतम कुल देनदारियों की घोषणा की, इसके बाद डीएमके ने 8.05 करोड़ रुपये (13.27 प्रतिशत) की देनदारी की घोषणा की.’

मालूम हो साल 2019-20 में गोपनीय एवं विवादित चुनावी बॉन्ड के जरिये सबसे ज्यादा भाजपा को फायदा हुआ था. साल 2019-20 में बेचे गुए कुल चुनावी बॉन्ड राशि का 75 फीसदी हिस्सा भाजपा को प्राप्त हुआ था.

वहीं, प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस को इसमें से महज नौ फीसदी ही राशि प्राप्त हो सकी है. इस दौरान कुल 3,435 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे.

साल 2019-20 में भाजपा को कुल 3,427 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, जिसमें से 2,555 करोड़ रुपये सिर्फ चुनावी बॉन्ड से प्राप्त हुए हैं.

इस बीच कांग्रेस को कुल 469 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जिसमें से 318 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से मिले हैं. साल 2018-19 में कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड से 383 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे.

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