मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस के 53 फीसदी (आधे से अधिक) और भारतीय जनता पार्टी के 28 फीसदी उम्मीदवार ऐसे हैं, जो आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।
भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव (2018) की तुलना में इस बार दागी उम्मीदवारों की संख्या दो प्रतिशत कम कर दी है। पिछले चुनाव में पार्टी के 30 फीसदी उम्मीदवार दागी थे, इस बार ये संख्या 28 फीसदी हो गई है। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जहां 48 फीसदी दागी उम्मीदवारों पर दांव लगाया था, वहीं इस बार ये संख्या बढ़कर 53 फीसदी हो गई है। ऐसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक ऐसोसिएशन (एडीआर) और मध्यप्रदेश इलेक्शन वॉच की ओर से आज जारी रिपोर्ट में ये आंकड़ा सामने आया है। संस्था ने सभी उम्मीदवारों द्वारा दाखिल किए शपथपत्रों का विश्लेषण कर ये रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के 53 उम्मीदवार ऐसे हैं, जो आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस के आधे से अधिक, 121 प्रत्याशियों ने स्वयं पर कोई ना कोई आपराधिक मामला घोषित किया है। दागी उम्मीदवारों पर दांव आजमाने में दूसरा स्थान आम आदमी पार्टी (आप) का है। आप के कुल घोषित उम्मीदवारों में से 39 फीसदी दागी हैं।
आगामी विधानसभा चुनाव में कुल दो हजार 534 उम्मीवार भाग्य आजमा रहे हैं, जिनमें से 19 फीसदी ने स्वयं पर आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है। वर्ष 2018 में ये आंकड़ा 17 प्रतिशत था।
कुल 24 उम्मीदवारों ने स्वयं पर महिला अत्याचार संबंधित मामले घोषित किए हैं, जबकि एक प्रत्याशी ने स्वयं पर दुष्कर्म और 10 ने हत्या का मामला भी घोषित किया है।
संस्था ने प्रत्याशियों की आर्थिक स्थिति का भी विश्लेषण किया है। इसके अनुसार 265 उम्मीदवार (10 फीसदी) की संपत्ति पांच करोड़ या इससे ऊपर है। भाजपा के कुल 87 फीसदी प्रत्याशी करोड़पति है। कांग्रेस के 85 फीसदी, आप के 59 फीसदी और बसपा के 30 फीसदी प्रत्याशी करोड़पति हैं।
भाजपा के प्रत्याशी चैतन्य कश्यप सबसे ज्यादा संपत्ति वाले उम्मीदवार हैं, जिनकी कुल संपत्ति 296 करोड़ रुपए के ऊपर है। दूसरे स्थान पर भाजपा के ही संजय सत्येंद्र पाठक (242 करोड़) और तीसरे स्थान पर कांग्रेस के संजय शुक्ला (217 करोड़) हैं। कुल 12 प्रत्याशियों ने अपनी संपत्ति शून्य घोषित की है।