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कोलकाता। हाल के वर्षों में विभिन्न राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों में चुनाव प्रचार के दौरान अंधाधुंध खर्च करने की होड़ देखी गई है, लेकिन हाल ही में संपन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में इसके विपरीत नजारा दिखा। चुनाव में जीत दर्ज करने वाले करीब 55 फीसद विधायकों ने चुनाव आयोग द्वारा खर्च करने की तय सीमा से आधे से भी कम राशि खर्च करने का दावा किया है। विजयी सभी 294 विधायकों द्वारा घोषित चुनाव खर्च के विश्लेषण में यह जानकारी सामने आई है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा किए गए अध्ययन के आधार पर जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 162 विधायकों (लगभग 55 फीसद) ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार खर्च की सीमा की 50 फीसद से भी कम राशि खर्च करने की घोषणा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव प्रचार में विधायकों द्वारा खर्च की औसत राशि 13.39 लाख रुपये है जो खर्च सीमा का महज 48 फीसद है।

दलगत तौर पर चुनाव खर्च की बात करें तो सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने अपने 211 विधायकों का औसत खर्च 13.57 लाख रुपये दिखाया है। इस सूची में कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों का औसत चुनाव खर्च 17.57 लाख रुपये और माकपा ने अपने 26 विधायकों का औसत खर्च महज 7.19 लाख रुपये दिखाया है। जबकि भाजपा ने अपने तीन विधायकों का औसत चुनाव खर्च 17.10 लाख रुपये होने की बात कही है।

रिपोर्ट के मुताबिक 294 में से 77 विधायकों ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक बैठकों, स्टार प्रचारकों के साथ जुलूस आदि पर कोई धनराशि खर्च नहीं करने की घोषणा की है। इसके अलावा 208 विधायकों ने घोषणा की है कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट मीडिया के माध्यम से चुनाव प्रचार पर कोई राशि खर्च नहीं की। वहीं 57 विधायकों ने चुनाव अभियान सामग्री पर कोई राशि खर्च नहीं करने का दावा किया है।

रिपोर्ट के अनुसार विधायकों ने चुनाव में 51 फीसद धनराशि राजनीतिक दलों से, 34 फीसद अन्य स्रोतों से व 15 फीसद खुद की राशि खर्च की। 60 विधायकों ने दावा किया है कि चुनाव लड़ने के लिए उन्हें किसी भी व्यक्ति या कंपनी के अलावा उपहार, दान व ऋण के रूप में कोई राशि प्राप्त नहीं हुई।