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10.12.2019
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ADR के मुताबिक विश्लेषण से साफ है कि राजनीतिक दल महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुद्दे को लेकर अधिक गंभीर नहीं है. हैरानी की बात ये है कि जिन राजनीतिक दलों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं उन्होंने भी महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस वाले उम्मीदवारों को टिकट दिए. इनमें कांग्रेस, बीएसपी और टीएमसी शामिल हैं.

  • अपराध के केस वाले सांसदों की संख्या 850% बढ़ी
  • 9 सांसदों/विधायकों ने खुद पर रेप केस की पुष्टि की

चुनावी हलफनामे में महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस अपने पर दर्ज होना बताने वाले सांसदों की संख्या में बीते 10 साल में 850%  का इज़ाफ़ा हुआ है. वहीं 2009 से 2019 के बीच ऐसे ही अपराध के केस अपने पर बताने वाले लोकसभा उम्मीदवारों की संख्या 230% बढ़ी. ये हैरान करने वाले आंकड़े एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (ADR) की ताजा रिपोर्ट में सामने आए हैं.

रिपोर्ट में कुल 756 सांसदों और 4063 विधायकों के हलफनामों का विश्लेषण किया गया. इनमें से 76 सांसद/विधायकों ने हलफनामों में खुद पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस दर्ज होना बताया. इन 76 में से 58 विधायक और 18 सांसद हैं. वहीं इन 76 में सर्वाधिक बीजेपी के 21 सांसद/विधायक हैं. दूसरे नंबर पर कांग्रेस (16) और तीसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP (7) है.  

बीते 5 साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस दर्ज वाले अहम सियासी पार्टियों के उम्मीदवारों की बात की जाए तो सर्वाधिक 66 को बीजेपी ने टिकट दिया. दूसरे नंबर पर कांग्रेस ने 46 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए. तीसरे नंबर पर बीएसपी (40) रही. ये सारे उम्मीदवार ऐसे थे जिन्होंने बीते 5 साल में लोकसभा/राज्यसभा या विधानसभा चुनाव लड़ा.

9 सांसद/विधायक पर रेप का केस

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 9 सांसद/विधायक ऐसे हैं जिन्होंने खुद पर रेप का केस दर्ज बताया. इनमें 3 सांसद और 6 विधायक हैं. बीते 5 साल में मान्यता प्राप्त पार्टियों ने 41 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए जिन्होंने खुद पर रेप के केस दर्ज बताए थे. इसके अलावा बीते 5 साल में 14 निर्दलीय उम्मीदवार भी ऐसे रहे जिन्होंने खुद पर रेप का केस दर्ज बताया. इन 14 निर्दलीय उम्मीदवारों ने लोकसभा/राज्यसभा या विधानसभा चुनाव लड़ा.  

बीते 5 साल में लोकसभा/राज्यसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 572 ऐसे उम्मीदवार ऐसे रहे जिन्होंने खुद पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस दर्ज होना बताया. इन 572 में से एक पर भी दोष सिद्ध नहीं हुआ. मान्यता प्राप्त पार्टियों ने महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के केस वाले 410 उम्मीदवारों को प्रत्याशी बनाया. इन 410 में से 89 को लोकसभा/राज्यसभा और 321 को विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया गया.

पार्टियां अपराध पर गंभीर नहीं

इसी तरह बीते 5 साल में चुनाव लड़ने वाले 162 निर्दलीय उम्मीदवारों का विश्लेषण किया गया जिन्होंने खुद पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस दर्ज होना बताया. इन 162 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 35 ने लोकसभा/राज्यसभा और 127 ने विधानसभा चुनाव लड़ा.

ADR के मुताबिक विश्लेषण से साफ है कि राजनीतिक दल महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुद्दे को लेकर अधिक गंभीर नहीं है. हैरानी की बात ये है कि जिन राजनीतिक दलों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं उन्होंने भी महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस वाले उम्मीदवारों को टिकट दिए. इनमें कांग्रेस, बीएसपी और टीएमसी शामिल हैं.

सर्वाधिक मामले बंगाल से

अगर राज्यों की बात की जाए तो महिलाओं के खिलाफ अपराध वाले सर्वाधिक 16 सांसद/विधायक पश्चिम बंगाल से हैं. इसके बाद महाराष्ट्र और ओडिशा का नंबर आता है. इन दोनों राज्यों में 12-12 सांसद/विधायक हैं जिन्होंने खुद पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस दर्ज होना बताया.

बीते 5 साल में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 84 उम्मीदवार रहे जिन्होंने हलफनामों में खुद पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस दर्ज बताए. इसके बाद बिहार (75) और पश्चिम बंगाल (69) रहे. ADR ने मौजूदा 4896 सांसद/विधायकों में से 4822 के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया. इनमें 759 सांसदों और 4063 विधायकों के हलफनामे थे.

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