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Date: 
14.02.2020
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राजनीति के अपराधीकरण पर सियासी पार्टियां लगातार खुद को पाक-साफ होने का दावा करती हैं लेकिन चुनावी वैतरणी पार करने के लिए ऐसे उम्मीदवारों का सहारा लेने से गुरेज नहीं करतीं। जिताऊ उम्मीदवार हर दल को चाहिए भले ही उस पर संगीन आरोप लगे हों। हाईकोर्ट से लेकर शीर्ष कोर्ट तक मामले पहुंचे लेकिन राजनीति में दागी उम्मीदवारों का आना बदस्तूर जारी है।  

लोकसभा में ही पिछले 15 वर्षों में दागी सांसदों की तादाद 20 फीसदी बढ़ी है। निचले सदन में मौजूदा करीब आधे सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं। पिछले चार लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो 2004 में 24 फीसदी सांसद दागी थे तो 2009 में इनकी संख्या छह फीसदी बढ़कर 30 फीसदी हो गई। वहीं, 2014 में इसमें इजाफा जारी रहा और 185 यानी 34 फीसदी दागी लोकसभा पहुंचे।

इस लिहाज से हर तीसरे सांसद पर कोई न कोई आपराधिक आरोप था। इनमें से 21 फीसदी पर तो गंभीर मामले थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में तो दागी सांसदों की तादाद 10 फीसदी और बढ़ गई। अब 43 फीसदी सांसदों पर मामले चल रहे हैं। इनमें से 29 फीसदी यानी 159 पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं। कांग्रेस के इड्डुकी (केरल) के सांसद डीन कुरियाकोस पर सबसे ज्यादा 204 मुकदमें हैं।

विधानसभाओं का भी बुरा हाल
विधानसभाओं का हाल भी ऐसा ही है। सभी राज्यों में ऐसे विधायक मिल जाएंगे जिनपर संगीन मुकदमे दर्ज हैं। दल इन्हें सियासी मुकदमे कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। उत्तर प्रदेश में तो भाजपा कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा के बाद भी बचाती रही। अंतत: छिछालेदार के बाद उसे पार्टी से निकाला। आज भी वो विधायक है। इनके अलावा हरिशंकर तिवारी, रघुराज प्रताप सिंह, अतीक अहमद, अमरमणि त्रिपाठी, धनंजय सिंह, ब्रजेश सिंह, सुशील सिंह आदि माफिया राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं।

राजनीति का अपराधीकरण: 2019 की लोकसभा में 233 सांसदों पर हैं केस

33 प्रतिशत सांसदों-विधायकों के खिलाफ मामले 
देश के 33 प्रतिशत सांसद और विधायकों पर मुकदमे। 4,845 सांसदों-विधायकों के हलफनामों के विश्लेषण में सामने आया कि 1,580 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। - अप्रैल 2018 की एडीआर रिपोर्ट

प्रमुख दस दलों का हाल

  • भाजपा    116
  • कांग्रेस    29
  • जदयू    13
  • द्रमुक    10
  • तृणमूल     09
  • एलजेपी     06
  • बसपा     05
  • सपा     02
  • एआईएमआईएम    02
  • एनसीपी    02

10 प्रमुख सांसदों पर हत्या के मामले

  • साध्वी प्रज्ञा सिंह (भोपाल) • भाजपा
  • निसिथ प्रमाणिक (कूच बिहार) • भाजपा
  • अजय कुमार मिश्र (खीरी) • भाजपा
  • छतर सिंह दरबार (धार) • भाजपा
  • अतुल राय (घोसी) • बसपा
  • अफजाल अंसारी (गाजीपुर) • बसपा
  • नाबा कुमार सरानिया (कोकराझार) • कांग्रेस
  • कुरुवा गोरान्तला माधव (हिन्दुपुर) • वाईआरसीपी
पीएम ने उड़ाई कोर्ट के आदेश की धज्जियां: कांग्रेस
मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ा दीं। मोदी कहते हैं उन्हें मंत्री बनाओ और वह भी उस विभाग का, जिसके कानून तोड़ने का मुकदमा दर्ज हो। - रणदीप सुरजेवाला, प्रवक्ता, कांग्रेस (कर्नाटक में आनंद सिंह को वन मंत्री बनाने पर)

दिल्ली विधानसभा...

हाल में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 विधायकों में से 43 यानी 61 प्रतिशत विधायकों पर मुकदमे हैं। इनमें से 37 पर गंभीर मामले। झारखंड में 81 में 44 विधायकों पर मामले हैं। यानी आधे से ज्यादा विधानसभा सदस्य दागी हैं। महाराष्ट्र में 176 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं। यानी 62 प्रतिशत दागी। वहीं, हरियाणा में 13 प्रतिशत दागी विधायक हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता: पिछले चार आम चुनाव में बढ़ी है दागियों की संख्या
राजनीति के अपराधीकरण मामले में सुनवाई के दौरान बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले चार आम चुनाव में दागियों की बढ़ी संख्या का भी जिक्र किया। पीठ ने राजनीति के बढ़ते अपराधीकरण और ऐसे अपराधीकरण के बारे में नागरिकों तक सूचनाओं के अभाव पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, ऐसा लगता है कि बीते चार आम चुनावों में दागी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है। 

भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने दी थी याचिका
भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय और राम बाबू सिंह ठाकुर ने याचिका दी थी। उन्होंने कहा था कि उम्मीदवार हलफनामे में आपराधिक मामलों की जानकारी देने के सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2018 के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ता के द्वारा राजनीतिक दलों को दिशा-निर्देश जारी करने की मांग पर सहमति दर्ज कराई थी।

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