Rajasthan Election 2023: चुनावों में दागी प्रत्याशियों को दूर रखने के लिए सभी दावे करते हैं. सुप्रीम कोर्ट भी इसमें सुधार की पहल कर रहा है. इसके बावजूद विधानसभा चुनावों में इसकी तस्वीर उलटी है.
Rajasthan Election 2023: चुनावों में दागी प्रत्याशियों को दूर रखने के लिए सभी दावे करते हैं. इसमें सुधार की भी बात होती है. सुप्रीम कोर्ट भी इसमें सुधार की पहल कर रहा है. इसके बावजूद विधानसभा चुनावों में इसकी तस्वीर उलटी है. विधानसभा चुनावों में दागी प्रत्याशियों का ग्राफ घटने की जगह बढ़ गया है. पिछली बार भाजपा ने दागियों पर कम भरोसा जताया था. जबकि इस बार भाजपा में दागियों की संख्या कांग्रेस के मुकाबले बढ़ गई है.
विधानसभा चुनाव में दागी प्रत्याशियों की संख्या
2013 विधानसभा चुनाव-
भाजपा- 31, कांग्रेस- 28, कुल दागी- 224
2818 विधानसभा चुनाव-
भाजपा- 33, कांग्रेस- 43, कुल दागीर- 320
2023 विधानसभा चुनाव-
भाजपा- 61, कांग्रेस- 52, कुल दागी- 333
विधानसभा चुनाव में पार्टियां लाख दावे करें की वह दागियों को टिकट नहीं देंगे, लेकिन अंत में पार्टियां दागियों पर ही भरोसा करती है. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. पिछले दो बार के चुनाव के आंकड़े देखें तो विधानसभा चुनाव में दागियों को टिकट देने में पार्टियों की रूचि कम होने की जगह बढ़ गई है.
दागी प्रत्याशियों पर पार्टियों ने भरोसा जताया है. ये आंकड़ा घटने की जगह इस बार 2 प्रतिशत बढ़ गया है. सुप्रीम कोर्ट भी संसद में दागियों की बढ़ती संख्या पर चिन्ता जताता रहा है. 2013 में 11% व 2018 में करीब 16% प्रत्याशी दागी उम्मीदवार थे, इस बार यह संख्या करीब 18% हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो भाजपा ने दागी प्रत्याशियों को बाहर करने का काम किया था. लेकिन इस बार भाजपा ने दागी प्रत्याशियों पर ही ज्यादा भरोसा जताया है. भाजपा ने इस बार 61 दागी प्रत्याशियों को उम्मीदवार बनाया है.
वहीं कांग्रेस ने भी 52 दागियों पर भरोसा जताया है. नामांकन के साथ जमा शपथ पत्रों के अनुसार इस बार 1874 में से 333 ने अपने अपराध का खुलासा किया है. करणपुर विधानसभा क्षेत्र को अलग कर दिया जाए तो दागियों की संख्या 332 है. करणपुर में आम आदमी पार्टी का एक प्रत्याशी दागी है. इस बार 97 निर्दलीय प्रत्याशी भी दागी हैं.
चुनाव आयोग की ओर से दागी प्रत्याशियों को अखबार, टीवी चैनल में विज्ञापन देना अनिवार्य किया है. जिसमें प्रत्याशियों को अपने अपराध की जानकारी देनी होती है. इसके बावजूद ये संख्या कम होने की जगह बढ़ रही है. कानूनविदों का कहना है कि इसके लिए कानून में बदलाव कर ही ऐसे प्रत्याशियों को रोका जा सकता है.