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Date: 
06.08.2017
City: 
Bhopal

मध्यप्रदेश सरकार ने वोटर सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम उठाते हुए स्थानीय निकाय चुनाव में पोलिंग बूथ के बाहर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास और उनकी संपत्ति का ब्यौरा  प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है। राज्य चुनाव आयोग के इस फैसले से वोटरों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने से पहले उम्मीदवार की असलियत का पता चल सकेगा।

राज्य  में 11 अगस्त को 15 जिलों के 14 नगर निगमों और 23 नगर परिषदों सहित 37 स्थानीय निकायों के चुनाव होने जा रहे हैं। राज्य चुनाव आयोग ने निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े सभी अधिकारियों को भेजे गए सर्कुलर में कहा है कि हर पोलिंग बूथ के बाहर फ्लेक्स के बड़े बैनर लगाए जांए जिन पर उम्मीदवार के हलफनामे के अनुसार उसकी परिसंपत्तियों, देनदारियों, शिक्षा और आपराधिक मामलों की जानकारी प्रकाशित की जाए। राज्य जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वोट डालने से पहले मतदाता को उम्मीदवार का ब्यौरा देने के लिए यह कदम उठाया गया है ताकि वह सही चुनाव कर सके।

इस कवायद में चूंकि बड़ा बजट चाहिए,लिहाजा निर्वाचन आयोग ने 11 अगस्त को होने वाले नगरीय व पंचायत चुनावों के लिए ही लागू किया है। आगे होने वाले चुनावों के बारे में सरकार की मंजूरी के बाद ही फैसला होगा। राज्य में करीब चार सौ नगरीय निकाय व 24 हजार पंचायतें हैं।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स ने किया फैसले का स्वागत
मतदाता अधिकारों के लिए संघर्षरत कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर)की मध्य प्रदेश की संयोजक रोली शिवहरे ने कहा कि इस संबंध में उन लोगों ने राज्य चुनाव आयुक्त आर परशुराम से मुलाकात की थी। शिवहरे के अनुसार महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश दूसरा राज्य होगा जहां यह नियम लागू किया गया है। बेहतर होगा कि इसे लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी अमल में लाया जाए। 

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