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Date: 
21.12.2016
City: 
New Delhi

राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को 2015-16 के दौरान 20000 रुपये से अधिक की राशि में 100 करोड़ रुपये से अधिक धन चंदे के रूप में मिला। इस सीमा के बाद धन देने वाले स्रोत की जानकारी सार्वजनिक करनी पड़ती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा को 613 लोगों या संगठनों से सबसे अधिक 76.85 करोड़ रुपये का चंदा मिला। वहीं कांग्रेस ने घोषणा की है कि उसे 918 लोगों या संगठनों से 20.42 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ।

राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में प्राप्त 20000 रुपये से कम की राशि के लिए जांच-पड़ताल की जरूरत नहीं पड़ती है और चुनाव आयोग ने हाल में सरकार से इस बात की अनुशंसा की है कि पार्टियों के लिए 2000 रुपये से अधिक के बेनामी चंदे को प्रतिबंधित किया जाए।

एडीआर का आंकलन
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल एलेक्शन वाच (एनईडब्ल्यू) द्वारा संयुक्त तौर पर तैयार रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय पार्टियों को 1744 लोगों या संगठनों ने 20000 रुपये से अधिक का चंदा दिया और इसकी कुल राशि 102.02 करोड़ रुपये बैठती है। रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा द्वारा घोषित चंदा कांग्रेस, राकांपा, भाकपा, माकपा और तृणमूल कांग्रेस द्वारा घोषित समान अवधि की कुल राशि का तीन गुना से भी अधिक है।

200 ‘कागजी’ दल जांच के घेरे में
चुनाव आयोग ने ‘कागजों’ पर चल रहे राजनीतिक दलों के खिलाफ शिंकजा कसना शुरू कर दिया है। ऐसे 200 दलों के वित्तीय मामलों की जांच के लिए आयोग ने आयकर विभाग को पत्र लिखने का फैसला किया है। 2005 के बाद से चुनाव नहीं लड़ने के कारण इन दलों को पहले ही सूची से बाहर किया जा चुका है।

आयोग का मानना है कि इनमें से अधिकतर दल सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। इनका प्रमुख काम चंदा लेकर लोगों के काले धन को सफेद करना है। जल्द ही चुनाव आयोग इन दलों के नाम आयकर विभाग के अधिकारियों को भेजकर जांच की मांग करेगा। साथ ही अगर इनमें से कोई धनशोधन में लिप्त पाया जाता है, तो संबंधित कानून के तहत कार्रवाई की जाए।

पंजीकरण रद्द करने का अधिकार नहीं
चुनाव आयोग के पास किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण करने का अधिकार तो है लेकिन चुनावी नियमों के तहत उसके पास किसी दल का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार नहीं है। किसी दल का पंजीकरण रद्द करने के अधिकार की उसकी मांग कानून मंत्रालय के समक्ष लंबित है।

अनुच्छेद 324 का किया इस्तेमाल
चुनाव आयोग ने निष्क्रिय रहने और लंबे समय तक चुनाव न लड़ने वाले दलों को सूची से बाहर करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल किया है।

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