देश के बड़े राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में जबरदस्त गिरावट देखने को मिल रही है। 2015-16 के चंदे में 84 फीसदी (528.67 करोड़) तक गिरावट आई है। हालांकि देश के सात प्रमुख दलों में से भाजपा को मिला चंदा बाकी छह दलों की तुलना में तीन गुना अधिक है। 20 हजार से ज्यादा चंदा पाने की सूची में वह सबसे आगे है।
भाजपा, कांग्रेस, सीपीआई और एनसीपी की रिपोर्ट में 473 चंदे का पैन विवरण उपलब्ध नहीं है। दलों को 11.68 करोड़ की राशि बिना पैन की जानकारी के मिली है। कांग्रेस को 8.11 करोड़ और भाजपा को 2.19 करोड़ बिना पैन की जानकारी के प्राप्त हुआ है। सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने भाजपा को 45 करोड़ और कांग्रेस को दो करोड़ का चंदा दिया है। यह भाजपा के कुल चंदे का 58.56 फीसदी है। कांग्रेस के चंदे में यह कुल राशि का 9.79 फीसदी है।
किसको कितना मिला चंदा
- 77.28 करोड़ यानी कुल चंदे का 75.75% हिस्सा 359 कॉरपोरेट घरानों से मिला
- 102.02 करोड़ रुपये चंदे में प्राप्त हुआ राष्ट्रीय दलों को
- 20, 000से ज्यादा चंदा देनेवाले दानदाताओं की सूचना चुनाव आयोग को देनी होती है
- 23.41 करोड़ का चंदा (22.95}) 1322 व्यक्तिगत दाताओं से मिला
दल 2014-15 2015-16
भाजपा 437.35 76.85
कांग्रेस 141.46 20.42
एनसीपी 38.82 0.71
तृणमूल 8.31 0.65
माकपा 3.42 1.81
भाकपा 1.33 1.58
(आंकड़ें करोड़ रुपये में)
2013 से 2015 के बीच बढ़ोतरी
- 156 % की वृद्धि हुई थी भाजपा के चंदे में
- 137% की वृद्धि कांग्रेस के चंदे में हुई थी
कहां से कितनी नगदी
- 80 लाख रुपये कर्नाटक से नकद चंदे के रूप में मिले
- 21.54 लाख रुपये का चंदा मेघालय से मिला
- 11.13 लाख रुपये नई दिल्ली से चंदे में मिले
- 9.80 लाख रुपये छत्तीसगढ़ से प्राप्त हुए
- 3.55 लाख रुपये मिले मध्य प्रदेश से
- 14.29 लाख रुपये अन्य राज्यों से मिले
बसपा को बड़ा चंदा नहीं
10 साल से 20,000 से ज्यादा चंदे के मामले में बसपा ने अपनी राशि शून्य दिखाई है।