राजनीतक दलों को चंदा देने वाले 22 इलेक्टोरल ट्रस्ट में से केवल 13 ने ही चुनाव आयोग को चंदे की रिपोर्ट सौंपी है। इसमें से सत्या और प्रूडेंट अकेले ऐसे ट्रस्ट हैं, जिन्होंने लगातार पांच सालों तक चंदे की रिपोर्ट जमा की है। वहीं साल 2017-18 में अकेले पांच ट्रस्टों ने 193.78 करोड़ रुपये का चंदा राजनीतिक दलों को दिया। इन ट्रस्टों को कई कॉरपोरेट समूहों का समर्थन हासिल है।एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स यानी एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा चंदा 169.3 करोड़ रुपए सत्या/प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने दिया। जिसके बाद एबी जनरल इलेक्ट्रोल ट्रस्ट ने 21.5 करोड़, ट्रंफ इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2 करोड़, जनकल्याण ट्रस्ट ने 50 लाख और जनशक्ति इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 48 लाख रुपये चंदे के तौर पर राजनीतिक दलों को दिए। केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक इलेक्टोरल ट्रस्ट राजनीतिक दलों को एक वित्त वर्ष में कुल आय का 95 प्रतिशत ही दान कर सकते हैं।
रिपोर्ट बताती है कि भारती एयरटेल ने सबसे ज्यादा 25.005 करोड़ रुपये इलेक्टोरल ट्रस्ट को दिए, जिसके बाद डीएलएफ लिमिटेड ने 25 करोड़, यूपीएल लिमिटेड ने 22 करोड़, डीएलएफ होम डेवलेपर्स ने 12 करोड़, कैडिला हेल्थकेयर और टोरेंट फार्मा. ने 10-10 करोड़, टोरेंट पॉवर ने 10 करोड़, डीएलएफ कॉर्मशियल डेवलेपर्स ने 9 करोड़, भारती इनफ्राटेल ने 8 करोड़ और ग्रेसिम इंडस्ट्रीज ने 8 करोड़ रुपए दिए। वहीं साल 2017-18 में अनिल कुमार गुप्ता ने 10 लाख रुपए और सतपॉल महाजन ने 11 हजार रुपये व्यक्तिगत तौर पर जनशक्ति इलेक्टोरल ट्रस्ट को दिए।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने कुल आय में से 154.30 करोड़ रुपये और एबी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 12.50 करोड़ रुपये भाजपा का चंदे के तौर पर दिए। वहीं प्रूडेंट और जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट ने भाजपा, कांग्रेस और बीजू जनता दल को भी चंदा दिया। अकेले भाजपा को ही कुल धनराशि का 86.50 प्रतिशत मिला, जबकि 25.98 करोड़ रुपये कांग्रेस (10 करोड़), बीजू जनता दल (5 करोड़), नेशनल कॉन्फ्रेंस (50 लाख) और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (40 लाख) को मिला।
एडीआर ने अपनी सिफारिश में कहा है कि 6 इलेक्टोरल ट्रस्ट के दानदाताओं की जानकारी सार्वजनिक की जाए। दानददाओं की जानकारी न होने से यह संदेह उत्पन्न होता है कि ये ट्रस्ट कालेधन को सफेद कर रहे हैं। साथ ही, जिन ट्रस्टों ने चुनाव आयोग को चंदे की जानकारी नहीं दी है, उन पर भारी जुर्माना लगाया जाए।