हाल ही में चुनाव अधिकार संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने पांच राज्यों ( उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड और पंजाब) में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद खुलासा किया था कि इन चुनावों में जीत दर्ज करने वाले लगभग 45 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, बुधवार को एडीआर ने एक और रिपोर्ट जारी की है। जिसमें उसने बताया है कि राजनीतिक दलों ने इन पांच राज्यों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 212 उम्मीदवारों का चयन करने का कोई कारण नहीं बताया है।
एडीआर ने इस साल की शुरुआत में हुए गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 1,178 उम्मीदवारों के फार्म सी-7 का विश्लेषण किया है। एडीआर ने कहा कि पार्टियों द्वारा कारणों के बजाय औचित्य सामने रखा जाता है। साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 212 उम्मीदवारों के लिए राजनीतिक दलों द्वारा उनके चयन का कोई कारण नहीं बताया गया है।
उत्तर प्रदेश के उम्मीदवारों की ये है स्थिति
एडीआर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में आपराधिक मामलों वाले 827 उम्मीदवारों में से 689 (83 प्रतिशत) और गंभीर आपराधिक मामलों वाले 623 उम्मीदवारों में से 511 (82 प्रतिशत) के लिए कारण प्रस्तुत किए गए हैं। वहीं, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 138 (17 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए राजनीतिक दलों द्वारा उनके चयन का कोई कारण नहीं बताया गया है।
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 12 उम्मीदवारों को टिकट देने का कारण नहीं बता पाईं पार्टियां
इसी तरह उत्तराखंड में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 76 उम्मीदवारों में से 64 (84 प्रतिशत) और गंभीर आपराधिक मामलों वाले 43 उम्मीदवारों में से 37 (86 प्रतिशत) के कारण बताए गए हैं। जबकि उत्तराखंड में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 12 (16 प्रतिशत) उम्मीदवारों के बारे में पार्टियों ने उनके चयन का कोई कारण नहीं बताया है।
गोवा का ये है हाल
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इसी तरह गोवा में आपराधिक मामलों वाले 57 उम्मीदवारों में से 28 (49 प्रतिशत) के लिए उनकी पार्टियों के बताया है कि उन्हें टिकट क्यों दिया गया है, इसी तरह गंभीर आपराधिक मामलों वाले 35 उम्मीदवारों में से 19 (54 प्रतिशत) के लिए कारण प्रस्तुत किए गए हैं, जबकि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 29 (51 प्रतिशत) उम्मीदवारों के चयन के लिए पार्टियों ने कोई कारण नहीं बताया है।
मणिपुर में दो उम्मीदवारों को टिकट देने का कारण नहीं बता पाईं पार्टियां
एडीआर ने कहा कि मणिपुर में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 41 उम्मीदवारों में से 39 (95 प्रतिशत) और गंभीर आपराधिक मामलों वाले 31 उम्मीदवारों में से 29 (94 प्रतिशत) के कारण बताए गए हैं। यहां आपराधिक पृष्ठभूमि वाले दो (5 प्रतिशत) उम्मीदवारों के बारे में पार्टियों ने उनके चयन का कोई कारण नहीं बताया गया है।
वहीं, पंजाब में आपराधिक मामलों वाले 177 उम्मीदवारों में से 146 (82 प्रतिशत) के लिए और गंभीर आपराधिक मामलों वाले 120 उम्मीदवारों में से 104 (87 प्रतिशत) को टिकट देने का कारण पार्टियों ने बताया है जबकि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 31 (18 प्रतिशत) उम्मीदवारों के चयन के लिए पार्टियों द्वारा कोई कारण नहीं बताया गया है।
एडीआर ने रिपोर्ट में कहा कि विश्लेषण में देखा गया है कि ज्यादातर मामलों में सवाल का स्पष्ट जवाब देने के बजाय एक औचित्य सामने रखा जाता है कि उम्मीदवार क्यों चुना गया था। कुछ उम्मीदवारों के लिए पार्टियों ने कहा है कि वह चुनाव जीतने के लिए सबसे अच्छे विकल्प थे। गौरतलब है कि 2020 में मद्रास उच्च न्यायालय ने न केवल केंद्र से लोकसभा के साथ ही राज्य विधानसभाओं के चुनाव लड़ने वाले आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को प्रतिबंधित करने के लिए एक कानून बनाने के लिए कहा था।