एडीआर ने 2004 और 2019 के बीच पुनर्निर्वाचित लोकसभा सांसदों को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की है। पुनर्निर्वाचित 23 सांसदों में से 12 के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। चुनाव आयोग मार्च महीने में चुनाव तारीखों का एलान करेगा। इससे पहले तमाम सियासी दल तैयारियों में जुटे हुए हैं। इस बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने लोकसभा सांसदों को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें कहा गया है कि 2004 और 2019 के बीच पुनर्निर्वाचित 23 सांसदों में से 12 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
52% पुनर्निर्वाचित सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन 23 सांसदों में से नौ के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास और डकैती से जुड़े आरोप शामिल हैं। यह रिपोर्ट 23 पुनर्निर्वाचित सांसदों के चुनावी हलफनामों पत्रों पर आधार पर बनाई गई है।
इसमें कहा गया है कि पुनर्निर्वाचित 23 सांसदों में से 52 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। वहीं 39 फीसदी सांसदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं।
भाजपा के 17 पुनर्निर्वाचित सांसदों के खिलाफ केस
यही आंकड़ें पार्टी-वार देखें तो सबसे ज्यादा भाजपा के 17 पुनर्निर्वाचित सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके बाद कांग्रेस के तीन, एआईएमआईएम से एक और शिव सेना से एक पुनर्निर्वाचित सांसद के खिलाफ आपराधिक मामले हैं।
औसत संपत्ति में 15.98 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी
रिपोर्ट में उन सांसदों का भी जिक्र है जिनकी संपत्ति में पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ी है। इन सांसदों में रमेश चंदप्पा, मेनका गांधी और राव इंद्रजीत सिंह शामिल हैं। 2004 और 2019 के बीच इन सांसदों की औसत संपत्ति में 15.98 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। पिछले कुछ वर्षों में इनकी दौलत 1,045 प्रतिशत बढ़ी है।
पुनर्निर्वाचित सांसदों में से अधिकांश स्नातक या उच्च शैक्षणिक योग्यता रखते हैं। उनमें से अधिकांश की उम्र 51 से 80 वर्ष की है। वहीं पुनर्निर्वाचित सांसदों में से केवल 13 प्रतिशत ही महिलाएं हैं।