राजनीति में आने वालों पर मुकदमे दर्ज होना कोई नई बात नहीं है। मामला बड़ा जब हो जाता है जब हत्या जैसे जघन्य अपराध में आरोपी चुनाव जीतकर विधायक बन जाते हैं।

पांच राज्यों में हुए चुनाव के बाद जीते हुए उम्मीदवारों का लेखा-जोखा देखने के बाद राजनीति के अपराधीकरण की तस्वीर साफ हो जाती है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने जीते प्रत्याशियों का उनके द्वारा दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे के आधार पर ब्योरा तैयार किया है। चुने गए कुल 812 विधायकों में से 36 पर्सेंट पर आपराधिक मुकदमे लम्बित हैं। 176 विधायकों पर हत्या और हत्या के प्रयास जैसे संगीन आरोप हैं। केरल के सबसे ज्यादा 62 प्रतिशत विधायकों पर आपराधिक मामले हैं। जबकि पश्चिम बंगाल के 32 प्रतिशत विधायकों पर गंभीर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं।
चुने गए विधायकों में से 428 करोड़पति हैं। पुदुचेरी के सर्वाधिक 83 पर्सेंट विधायक करोड़पति हैं जबकि तमिलनाडु में 76 पर्सेंट विधायक करोड़पति की श्रेणी में आते हैं। कुल 186 विधायकों ने चुनावी हलफनामे में दर्शाया है कि उन्होंने कभी आयकर नहीं भरा। इसमें केरल के सर्वाधिक 60 प्रतिशत विधायक शामिल हैं। जबकि पश्चिम बंगाल के 20 प्रतिशत विधायकों ने कभी आयकर नहीं दिया। 49 विधायकों ने अपने परमानेंट अकाउंट नंबर की जानकारी तक नहीं दी है। पुदुचेरी के विधायकों की औसत सम्पत्ति सबसे ज्यादा (13.45 करोड़ रुपए) है, उसके बाद तमिलनाडु का नंबर आता है जिसके विधायकों की औसत सम्पत्ति (8.21 करोड़ रुपए) है।
चुने गए 812 विधायकों में से सिर्फ 9 प्रतिशत महिलाएं हैं। महिलाओं का प्रतिनिधित्व सर्वाधिक बंगाल में देखने को मिला है। पश्चिम बंगाल के 293 विधायकों में से 40 महिलाएं (14%) हैं। पुदुचेरी की 30 में 4 विधायक महिलाएं हैं।
19 विधायकों के पास पीएचडी डिग्री है। सबसे ज्यादा (10) पीएचडी विधायक पश्चिम बंगाल से हैं जबकि तमिलनाडु में पांच पीएचडी उम्मीदवार विधायक चुने गए हैं। 480 विधायकों के पास ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री है। कुल विधायकों से 11 प्रतिशत की उम्र 40 साल या उससे कम है। 5 विधायकों की उम्र 80 साल से ज्यादा है।