रिपोर्ट के लिए, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने 2019 और 2024 के बीच चुनावों के दौरान भारत के चुनाव आयोग को सौंपे गए मौजूदा सांसदों और विधायकों के 4,809 हलफनामों में से 4,693 की जांच की।
देश में कोलकाता डॉक्टर रेप हत्या कांड को लेकर जबरदस्त तरीके से सियासत जारी है। लगातार बंगाल सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। एक चुनाव अधिकार निकाय की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 151 मौजूदा सांसदों और विधायकों ने अपने चुनावी हलफनामों में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिसमें पश्चिम बंगाल में ऐसे मामलों का सामना करने वाले सांसदों की संख्या सबसे अधिक है।
रिपोर्ट के लिए, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने 2019 और 2024 के बीच चुनावों के दौरान भारत के चुनाव आयोग को सौंपे गए मौजूदा सांसदों और विधायकों के 4,809 हलफनामों में से 4,693 की जांच की। संगठन ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों का सामना कर रहे 16 सांसदों और 135 विधायकों की पहचान की। पश्चिम बंगाल में सबसे ज़्यादा 25 सांसद और विधायक महिलाओं के खिलाफ़ अपराध से जुड़े आरोपों का सामना कर रहे हैं, जबकि आंध्र प्रदेश में 21 और ओडिशा में 17 सांसद और विधायक महिलाओं के खिलाफ़ अपराध से जुड़े आरोपों का सामना कर रहे हैं।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या तथा ठाणे में दो बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 16 मौजूदा सांसद और विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत बलात्कार से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिसके लिए न्यूनतम 10 साल की सजा का प्रावधान है और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इनमें से दो सांसद और 14 विधायक हैं।
आरोपों में एक ही पीड़िता के खिलाफ बार-बार अपराध करना शामिल है, जो इन मामलों की गंभीरता को और भी अधिक रेखांकित करता है। रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक दलों में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रतिनिधियों (54 सांसदों और विधायकों) की संख्या सबसे अधिक है, जिनके खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले घोषित किए गए हैं, इसके बाद कांग्रेस के 23 और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के 17 मामले हैं।