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Date: 
02.11.2020
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राजनीति का अपराधीकरण रोकने और दागियों को चुनाव से बाहर करने के लिए भले ही कई कानून बने हों और सुप्रीम कोर्ट के क्रांतिकारी आदेश आये हों लेकिन सच्चाई यही है कि दागी राजनीति का दामन नहीं छोड़ रहे। इसका ताजा उदाहरण बिहार विधानसभा चुनाव है जिसमें इस बार पिछले चुनाव से ज्यादा दागी उम्मीदवार मैदान में हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार 32 फीसद दागी उम्मीदवार हैं यानी जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि है, जिसमें से 25 फीसदी ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर अपराधों में मुकदमें लंबित हैं। जबकि 2015 में ये आकड़ा 30 और 23 फीसद था। 

89 फीसद निर्वाचन क्षेत्र रेड एलर्ट श्रेणी में जहां तीन या उससे अधिक दागी हैं मैदान में 

इतना ही नहीं, बिहार चुनाव में इस बार 243 में से 217 निर्वाचन क्षेत्र यानी 89 फीसद चुनाव क्षेत्र रेड एलर्ट श्रेणी में आते हैं जहां तीन या तीन से अधिक दागी उम्मीदवार मैदान में हैं। राजनीति में अपराधियों की घुसपैठ का यह आइना दिखाने वाली रिपोर्ट गैरसरकारी संस्था एडीआर ने चुनाव में उतरने वाले उम्मीदवारों के हलफनामे का विश्लेषण करके जारी की है।

सभी दलों ने दागियों को दिया टिकट

एडीआर के संस्थापक और ट्रस्टी जगदीप छोकर ने सोमवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि 2015 की तुलना मे इस बार आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है। हर पार्टी में दागी उम्मीदवारों में बढ़ोत्तरी हुई है। चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में हैं जिसमे से 3722 उम्मीदवारों का एडीआर ने रिपोर्ट मे विश्लेषण किया है। इन 3722 में से 1201 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं यानी 32 फीसद उम्मीदवार दागी हैं जिसमें से 915 यानी 25 फीसद पर गंभीर मुकदमें लंबित हैं। मुख्य दलों पर निगाह डाली जाए तो 2015 में भाजपा ने 61 फीसद दागियों को टिकट दिया था, इस बार यह आंकड़ा 70 फीसद है। 

ज्यादातर ने दागियों को टिकट देने का कारण जिताऊ उम्मीदवार बताया

राजद ने पिछली बार 60 फीसद दागियों को टिकट दिया था और इस बार 70 फीसद दागियों को मैदान मे उतारा है। कांग्रेस ने पिछली बार 56 फीसद और इस बार 64 फीसद दागियों को टिकट दिया है। एलजेपी ने पिछली बार 50 फीसद दागी उतारे थे और इस बार 52 फीसद हैं। बसपा ने पिछले चुनाव मे 29 फीसद दागियों को खड़ा किया था और इस बार 37 फीसद दागियों को टिकट दिया है। सिर्फ जदयू एक मात्र दल है जिसके दागी उम्मीदवारों के अनुपात मे कमी आयी है। पिछले चुनाव में जदयू ने 57 फीसद दागियों को टिकट दिया, जबकि इस बार इस संख्या मे कमी आयी है और 49 फीसद दागी उसकी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

कोर्ट ने कहा था कि दागियों को टिकट देने का कारण बताना होगा और जिताऊ होना कोई आधार नहीं होगा लेकिन ज्यादातर दलों ने टिकट देने का कारण उम्मीदवार का जिताऊ होना बताया है। एक दल ने तो यह कहा है कि उम्मीदवार ने कोरोना के दौरान अच्छा काम किया। एडीआर ने राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए कई सिफारिशें रिपोर्ट में की हैं।

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