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17.01.2019
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सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को पिछले वित्त वर्ष में अन्य राष्ट्रीय पार्टियों के मुकाबले 12 गुना ज्यादा यानि 437 करोड़ रुपये से अधिक राजनीतिक चंदा मिला.

नई दिल्‍ली: सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को पिछले वित्त वर्ष में अन्य राष्ट्रीय पार्टियों के मुकाबले 12 गुना ज्यादा यानी 437 करोड़ रुपये से अधिक राजनीतिक चंदा मिला. बुधवार को चुनाव से जुड़े एक विचार मंच द्वारा जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. बीजेपी और कांग्रेस को सबसे अधिक चंदा ‘‘प्रूडेंट इलैक्टोरल ट्रस्ट ’’की ओर से मिला. यह बड़े कॉरपोरेट घरानों द्वारा समर्थित कंपनी है जिसमें परिसंपत्ति और टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी बड़ी कंपनियां शामिल हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्‍स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.

''प्रूडेंट इलैक्टोरल ट्रस्ट'' ने भाजपा और कांग्रेस को मिलाकर कुल 164.30 करोड़ रुपये का चंदा दिया. इसमें से भाजपा को 154.30 करोड़ मिला जो कि उसे मिले कुल चंदे का 35 फीसदी है. कांग्रेस के हिस्से में दस करोड़ रुपया आया जो कि उसे मिले कुल धन का 38 फीसदी है. राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे में वर्ष 2017-18 के लिए राष्ट्रीय दलों ने 469.89 करोड़ रुपया मिलने की घोषणा की है. इसमें से ज्यादातर हिस्सा 437.04 करोड़ रुपया भाजपा के खाते में गया जबकि कांग्रेस को 26.65 करोड़ रुपया मिला.

एडीआर ने एक बयान में बताया, ‘‘भाजपा ने अपने जिस चंदे की घोषणा की है वह कांग्रेस, राकांपा, भाकपा, माकपा और तृणमूल कांग्रेस द्वारा इसी अवधि में घोषित कुल चंदे से 12 गुना अधिक है.’’ बयान में बताया गया है कि राष्ट्रीय दलों को करीब 90 फीसदी चंदा कॉरपोरेट घरानों से और बाकी 10 फीसदी लोगों से मिला.

कॉरपोरेट घरानों और कारोबारियों ने साल 2017-18 में भाजपा को 400.23 करोड़ रुपये राजनीतिक चंदे के रूप में दिए जबकि कांग्रेस को केवल 19.29 करोड़ रुपया ही मिला.

बसपा को 20 हजार से अधिक का नहीं मिला चंदा
इस बीच, बहुजन समाज पार्टी ने ऐलान किया है कि इस अवधि में उसे 20 हजार रुपये से अधिक कोई चंदा नहीं मिला. बसपा पिछले 12 साल से हर साल यही घोषणा करती आ रही है. दिल्ली स्थित विचार मंच ने यह जानकारी दी है. दलों को मिले राजनीतिक चंदे में से दिल्ली से पार्टियों को 208.56 करोड़ रुपया मिला तो वहीं महाराष्ट्र से 71.93 करोड़ और गुजरात से 44.02 करोड़ रुपया मिला.

एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुल चंदे में से 42.60 करोड़ रुपये यानि करीब 9.07 फीसदी राशि का अधूरी सूचना के कारण, पता नहीं चल सका कि यह किस राज्य से आया है.

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