एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और दिल्ली इलेक्शन वॉच के सर्वेक्षण के मुताबिक, इस बार 248 सीटों में से जीत दर्ज करने वाले पार्षदों में से 167 करोड़पति हैं।
पांच वर्षों में निगम की वित्तीय सेहत भले ही बिगड़ती गई, लेकिन पार्षद सेहतमंद हुए हैं। निगम चुनाव में करोड़पति पार्षदों की संख्या 2017 में 135 से बढ़कर इस बार 167 हो गई है। सीटों की संख्या कम होने के बावजूद करोड़पति पार्षदों की प्रतिशतता भी 51 से बढ़कर 67 हुई है। वहीं, एमसीडी चुनाव में सर्वाधिक सीटें जीतने वाली आप के करोड़पति पार्षदों की प्रतिशतता न्यूनतम है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और दिल्ली इलेक्शन वॉच के सर्वेक्षण के मुताबिक, इस बार 248 सीटों में से जीत दर्ज करने वाले पार्षदों में से 167 करोड़पति हैं। इनमें भाजपा के 79, कांग्रेस व निर्दलीय के 67 जबकि आप के 58 फीसदी पार्षद करोड़पति हैं। इनमें 26 फीसदी पार्षदों के पास पांच करोड़ से अधिक की संपत्ति है। दो से पांच करोड़ की संपत्ति 24 फीसदी है जबकि 26 फीसदी पार्षदों के पास 50 लाख रुपये से दो करोड़ रुपये की संपत्ति है। 2017 चुनाव में 266 सीटों पर जीत दर्ज करने वाले 135 करोड़पति पार्षद थे, यानी 51 फीसदी पार्षदों के पास करोड़ों रुपये की संपत्ति थी। इधर, पिछले वर्षों के दौरान निगम पर करोड़ों का बकाया होने से वित्तीय सेहत लगातार बिगड़ रही है। इस वजह से कर्मियों को कई बार वेतन के लिए भी विरोध प्रदर्शन करना पड़ा। एमसीडी चुनाव में पार्षदों की वित्तीय सेहत सुधार के साथ-साथ निगम की वित्तीय स्थिति में भी सुधार के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं।
67 फीसदी निर्दलीय उम्मीदवारों पर दर्ज हैं आपराधिक मामले
एमसीडी चुनाव में जीत दर्ज करने वाले पार्षदों में से आठ फीसदी पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कई पार्षदों पर छोटे आपराधिक मामले भी हैं। आंकड़ों के मुताबिक चुनाव में जीत दर्ज करने वाले 67 फीसदी निर्दलीय प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस वर्ग के 33 फीसदी पर गंभीर अपराध में शामिल होने के आरोप हैं।
चुनाव में जीत दर्ज करने वाले 42 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इन पर धोखाधड़ी, चेक बाउंस से आईपीसी की संगीन धाराओं के तहत भी मुुकदमा दर्ज है। राजनीतिक दलों के आंकड़ों के मुताबिक आप के 21 फीसदी प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले हैं। इनमें नौ फीसदी गंभीर अपराध से संबंधित मामले हैं। भाजपा के 12 फीसदी विजेता उम्मीदवारों पर मामले दर्ज हैं। इनमें छह फीसदी गंभीर अपराध के हैं। कांग्रेस प्रत्याशियों पर 11 फीसदी आपराधिक मामले हैं, लेकिन गंभीर अपराध में लिप्त नहीं रहे हैं।