राजनीति में धनबल और बाहुबल किस कदर हावी है, इसका पता खुद उम्मीदवारों की ओर से घोषित ब्योरे से चलता है। विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने 30 से 87% करोड़पति उम्मीदवार और 12 से 53% आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कुछ उम्मीदवारों के पास तो अरबों की संपत्ति है।
राजनीति में धनबल और बाहुबल किस कदर हावी है, इसका पता खुद उम्मीदवारों की ओर से घोषित ब्योरे से चलता है। विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने 30 से 87% करोड़पति उम्मीदवार और 12 से 53% आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कुछ उम्मीदवारों के पास तो अरबों की संपत्ति है।
मध्यप्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने 2534 उम्मीदवारों के सपनों का विश्लेषण किया। सभी राजनीतिक दल धनी उम्मीदवारों को टिकट देते हैं, इसलिए धनबल एक प्रमुख मुद्दे के रूप में सामने आता है।
चुनाव में 2534 उम्मीदवारों में से 727 उम्मीदवार (29%) करोड़पति हैं। पिछले चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों का प्रतिशत 24 था। दलवार देखें तो भाजपा ने 230 में से 200 यानी 87%, कांग्रेस ने 230 में से 196 यानी 85%, आम आदमी पार्टी ने 66 में से 39 यानी 59% और बसपा ने 181 में से 54 उम्मीदवार यानी 30% करोड़पति उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं।
दलवार औसत संपत्ति: दलवार औसत संपत्ति देखें तो कांग्रेस उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 13.69 करोड़ रुपए है। भाजपा उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 10.46 करोड़ रुपए, आप के 66 उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 2.76 करोड़ है। बसपा उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 1.95 करोड़ रुपए है।
सबसे ज्यादा देनदारी
कुल 110 (44%) उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी देनदारी घोषित की है। सबसे ज्यादा देनदारी घोषित करने वाले तीन उम्मीदवारों का विवरण निम्न है। उम्मीदवार सीट दल कुल संपत्ति देनदारी
निलय विनोद डागा बैतूल कांग्रेस 177 करोड़ 86 करोड़
संजय शर्मा नरसिंहपुर कांग्रेस 212 करोड़ 84 करोड़
संजय शुक्ला इंदौर-1 कांग्रेस 217 करोड़ 63 करोड़
तीन की संपत्ति लगभग 750 करोड़ रुपए
2534 में से तीन प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनकी संपत्ति ज्यादा है। इनमें भाजपा के चैतन्य कश्यप ने 296 करोड़, भाजपा के ही संजय पाठक ने अपनी संपत्ति 242 करोड़ और कांग्रेस के संजय शुक्ला ने संपत्ति 217 करोड़ रुपए घोषित की है। कांग्रेस के विनोद डागा 177 करोड़ के मालिक हैं, लेकिन उन पर सबसे ज्यादा 86 करोड़ की देनदारी भी है। कांग्रेस के ही संजय शर्मा की संपत्ति 212 करोड़, जबकि 84 करोड़ की देनदारी, संजय शुक्लापर 63 करोड़ की देनदारी है।
12 उम्मीदवारों ने संपत्ति शून्य बताई
तीन उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति 1000 के आसपास बताई है। इनमें प्रमिला बैगा और राजू खान निर्दलीय हैं, जबकि विक्रम बैगा विंध्य जनता पार्टी से हैं। 12 उम्मीदवारों ने संपत्ति शून्य बताई है। आश्चर्यजनक रूप से इनमें से एक भी उम्मीदवार किसी प्रमुख राष्ट्रीय दल का नहीं है। इनमें से छह उम्मीदवारों का पैन कार्ड है, लेकिन सभी ने संपत्ति शून्य बताई है।
उम्मीदवारों की औसत संपत्ति
उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 2.89 करोड़ रुपए है। मालूम हो कि 2018 के विधानसभाचुनावों में यह औसत संपत्ति 1.73 करोड़ रुपए थी। 216 ने घोषित नहीं किया पैन विवरण
रिपोर्ट के अनुसार 2534 उम्मीदवारों में से 216 यानी 9% उम्मीदवारों ने अपनापैन विवरण नहीं दिया है।
महिला उम्मीदवार 10%, पिछली बार 1%ज्यादा
सभी राजनीतिक दलों (निर्दलीय सहित) ने केवल 10% यानी 253 महिला उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में उतारे हैं। हालांकि 2018 में 2716 में से 235 यानी 9% महिला उम्मीदवार थीं। उधर, खास बात यह है कि इस बार सभी दलों ने युवाओं को विशेष महत्व दिया है। कुल उम्मीदवारों से से 25 वर्ष की उम्र के 18 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें आप और बसपा ने दो-दो युवाओं को प्रत्याशी बनाया है।
महिलाओं की उम्मीदवारों को लेकर छोटे दल प्रतिशत के हिसाब से आगे
दलों के हिसाब से देखें तो सबसे ज्यादा आप ने कुल 66 उम्मीदवारों में से 11 उम्मीदवार (17 प्रतिशत), सपा ने 71 में से 11 (15 प्रतिशत), कांग्रेस ने 230 में से 30 (13 प्रतिशत), वहीं बसपा ने 181 में से 21 (12 प्रतिशत) और भाजपा ने 230 में से 27(12 प्रतिशत) महिला उम्मीदवारोंको चुनाव मैदान में उतारा है।