नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को RTI के दायरे में लाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को नोटिस देकर 6 हफ्तों में जवाब मांगा है।
इन पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी, बीसपी, सीपीआई और सीपीएम शामिल हैं। दरअसल एडीआर संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के सामने दलील दी कि साल 2013 में CIC ने आदेश जारी किया था कि ये पार्टियां RTI दायरे में आती हैं और इसके जरिए मांगी गई सूचनाओं को देने के लिए बाध्य हैं।
लेकिन इन पार्टियों ने इस आदेश का पालन नहीं किया। क्योंकि CIC को अवमानना का केस चलाने का अधिकार नहीं है इसलिए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन पार्टियों को काफी मदद मिलती है। यहां तक कि इन्हें आयकर से भी छूट दी गई है। ऐसे में इन पार्टियों को RTI के दायरे में लाया जाना चाहिए। यहां तक कि जो डोनेशन पार्टियों को दी जाती है, उसका पूरा ब्यौरा भी दिया जाना चाहिए।
भूषण ने कहा कि पार्टियां 20000 से ऊपर की डोनेशन के बारे मे चुनाव आयोग को बताती हैं लेकिन उससे नीचे की रकम की जानकारी भी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच में पता चलता है कि कि इन पार्टियों को मिलने वाले चंदे में 75 फीसदी 20 हजार से कम ही होता है। ऐसे में साफ है कि कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ है।