Source: 
Azad Express
http://www.azadexpress.com/article.php?id=1165#.UNMH-OSOSsd
Date: 
20.12.2012
City: 
New Delhi

नयी दिल्ली। दिल्ली में चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद पूरे देश का पारा गरम है। देश की आम जनता तो गुनहगारों को फांसी देने की मांग कर ही रही है नेता लोग भी इस घटना की निंदा कर रहे हैं और वह भी कह रहे हैं की दोषियों को सख्त सज़ा मिले मगर क्या आपको पता है कि आज देश में ऐसे कई नेता हैं जिन पर बलात्कार के आरोप लगे हैं। ऐसा नहीं है कि यह इन नेताओं के विरोधी कह रहे हैं या फिर उनपर झूठा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है  बल्कि इन नेताओं ने चुनाव आयोग के सामने जो शपथ पत्र दिया है उसमें उनहों ने खुद कहा है कि उनके खिलाफ बलात्कार के आरोप भी लगे हैं। पिछले पाँच सालों की रिपोर्ट पर नज़र डालें तो नेशनल इलेक्शन वाच के आंकड़ों के अनुसार 6 एम एल ए ऐसे हैं जिन पर बलात्कार के आरोप हैं। इन में तीन का संबंध उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी से हैं। इन बलात्कारी एम एल ए के नाम हैं श्री  भगवान शर्मा, अनूप संदा और मनोज कुमार पारस। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद सलीम, गुजरात में बी जे पी के जेठा भाई और आंध्रा प्रदेश में टी डी पी के कंडीकुंटा वेंकटा प्रसाद पर भी बलात्कार के आरोप हैं।

36 एम एल ए ऐसे हैं जिन्हों ने अपने शपथ पत्र में बताया था कि उनपर महिलाओं के खिलाफ अतत्याचार के आरोप हैं। इन 36 एम एल ए में से 6 का संबंध कांग्रेस से , पाँच का संबंध बी जे पी से और 3 का संबंध समाजवादी पार्टी से है। यानि अपराधियों को और महिलाओं के खिलाफ ज़ुल्म करने वालों को टीकेट देने में बड़ी पार्टियां भी पीछे नहीं रहती हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा 8 एम एल ए ऐसे हैं जिन पर किसी न किसी रूप में महिलयों पर ज़ुल्म के आरोप हैं। उड़ीसा और बंगाल में ऐसे 7-7 एम एल ए हैं जिन्हें महिलाओं पर ज़ुल्म करने का गौरव प्राप्त है।

दिल्ली में गैंंग रेप के बाद लंबे चौड़े भाषण देने वाली बड़ी बड़ी पार्टियों हमेशा आरोपियों को टीकेट दिये इनमें वह आरोपी भी शामिल हैं जिनपर महिला से रेप के आरोप भी लगे। आंकड़े बताते हैं कि पिछले पाँच सालों में विभिन्न पार्टियों ने ऐसे 27 लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया जिन पर बलात्कार के आरोप थे। इन 27 उम्मीदवारों में से 10 का संबंध उत्तर प्रदेश से है जबकि 5 बिहार से संबंध रखते हैं। पार्टियों की बात करें तो इन 27 रेप के आरोपियों में से सात आज़ाद उम्मीदवार थे, 5 समाजवादी के उम्मीदवार थे, जबकि 2-2 को भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था।

पिछले पाँच वर्षों के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने 260 ऐसे लोगों को टिकट दिया था जिनपर किसी न किसी रूप में महिलाओं के खिलाफ आरोप लगे थे। ऐसे उम्मीदवार सिर्फ छोटी पार्टियों के नहीं थे बल्कि देश कि बड़ी बड़ी पार्टियों ने भी ऐसे लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया था जिन पर यह आरोप थे कि उनहों ने किसी न किसी रूप में महिला का अपमान किया। महिलाओं पर ज़ुल्म के आरोपी ऐसे उम्मीदवारों में 72 आज़ाद उम्मीदवार थे जबकि कांग्रेस ने ऐसे 26 और बी जे पी ने ऐसे 24 आरोपियों को अपना उम्मीदवार बनाया था। बहुजन समाज ने ऐसे 18 जबकि समाज वादी पार्टी ने ऐसे 16 लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया था। राज्यों कि बात करें तो ऐसे सब से अधिक 41 उम्मीदवार महाराष्ट्र में थे जिनपर महिलाओं के अपमान के आरोप लगे थे। उत्तर प्रदेश में ऐसे 37 जबकि बंगाल में ऐसे 22 लोगों को पार्टियों ने अपना उम्मीदवार बनाया था।

2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टियों ने 6 ऐसे व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाया था जिन पर बलात्कार के आरोप थे। इन 6 बलात्कारी उम्मीदवारों में 3 बिहार से चुनाव लड़े थे और शेष 3 में से एक एक ने आंध्रा प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से चुनाव लड़ा था। 2009 के लोकसभा चुनाव में इनके अलावा 34 ऐसे उम्मीदवार थे जिनपर किसी न किसी रूप में महिलाओं पर ज़ुल्म करने या अपमान करने के आरोप लगे थे। ऐसी आपराधिक छवि के सबसे ज़्यादा 9 उम्मीदवार बिहार से थे, जबकि ऐसे उम्मीदवार महाराष्ट्र से 6 और उत्तर प्रदेश से पाँच थे।

कुल मिलकर देखें तो यह कौन नहीं जनता कि नेताओं का महिलाओं से संबंध बनाने का एक पुराना सिलसिला रहा है। नेताओं में रंग रैलियाँ मनाने की पुरानी आदत रही है। जीवन के अंतिम दिन में पहुँच चुके नारायण दत्त तेवारी की हरकतें सबको पता हैं। उनके अलावा कई दूसरे नेताओं पर भी महिलाओं से संबंध बनानने के आरोप लगे। कई नेता तो इस मामले में जेल भी गए। यह भी एक हक़ीक़त है कि बहुत से लोग अपना काम निकलवाने के लिए नेताओं के पास लड़कियां भेजते हैं। जब हमारे नेता ही इस छवि के हों तो उनसे यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि यह बलात्कारियों के खिलाफ सख्त कानून बनाएंगे। नेता पहले खुद सुधरें फिर अपराधियों को सुधारने की बात करें।

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