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Date: 
26.10.2015
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Patna

पटना। दूसरे तमाम चरण के चुनाव की भांति ही चौथे चरण में भी अपराधी और पैसे वाले प्रत्याशियों का ही बोलबाला रहेगा।

महत्वपूर्ण यह है कि चौथे चरण के चुनाव में 776 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने को चुनाव मैदान में हैं, जिनमें से 60 ऐसे हैं जिन्होंने घोषित किया है कि कभी न कभी उन्होंने हत्या का प्रयास जरूर किया। जबकि 16 तो ऐसे हैं जिनके ऊपर बकायदा हत्या के मामले चल भी रहे हैं।

रविवार को बिहार इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स ने चौथे चरण में चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों का ब्योरा सार्वजनिक किया। रिपोर्ट के मुताबिक 776 उम्मीदवारों में से 33 प्रतिशत उम्मीदवारों ने स्वीकार किया है कि उन पर आपराधिक मामले हैं। जबकि 26 प्रतिशत ने कहा है कि उनपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस चरण में दो प्रतिशत मतलब 17 उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनके पास 10 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है।

निर्दलीय अमित पर हत्या के सबसे ज्यादा मामले

अपने शपथपत्र में उम्मीदवारों ने अपराध का जो रिकार्ड दिया है उसके मुताबिक सुरसंड से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अमित कुमार पर हत्या के चार मामले चल रहे हैं। दूसरे पायदान पर हैं सीपीआई (एमएल) (एल) के उम्मीदवार सिकटा प्रत्याशी वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता। गुप्ता पर हत्या के तीन मामले दर्ज हैं। सुगौली के राजद प्रत्याशी ओम प्रकाश चौधरी निर्दलीय बैकुंठपुर उम्मीदवार गोरख यादव पर हत्या के दो-दो मामले चल रहे हैं।

17 प्रत्याशी दस करोड़ से अधिक के मालिक

चौथे चरण के चुनाव में 17 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके पास दस करोड़ या इससे अधिक की संपत्ति है। 26 उम्मीदवारों के पास पांच से दस करोड़, 177 उम्मीदवारों के पास एक से पांच करोड़ तथा 123 प्रत्याशी पचास लाख से एक करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। जबकि 433 उम्मीदवारों के पास पचास लाख से कम की प्रॉपर्टी है।

49 फीसद प्रत्याशी 5वीं से 12वीं पास

लोकतंत्र के महापर्व के चौथे चरण में अपनी किस्मत आजमा रहे 49 प्रतिशत उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता पांचवी से 12वीं के बीच है। 37 प्रतिशत उम्मीदवारों ने कहा है कि उनके पास स्नात्तक की डिग्री है। 102 उम्मीदवारों ने खुद को साक्षर और एक प्रत्याशी ने खुद को निरक्षर बताया है।

चौथे फेज में महज सात प्रतिशत महिलाएं

आधी आबादी का हवाला देने वाली राजनीतिक पार्टियों का सबसे कम भरोसा महिलाओं पर है। चौथे चरण में महज सात फीसद महिलाओं पर ही विभिन्न राजनीतिक दलों ने भरोसा दिखाया है और उन्हें टिकट दिया है। 776 उम्मीदवारों में से सिर्फ 57 महिलाएं ही चुनाव मैदान में हैं।

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