नई दिल्ली। दागी लोगों को टिकट ना देने के दावे भले किए जाते हों, लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है, तो सारी पार्टियां ये वायदे भूल जाती हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरे अलग-अलग पार्टियों के कुल 33 फीसदी उम्मीदवारों ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस यानी एडीआर ने सारे उम्मीदवारों के हलफनामों की जांच के बाद ये रिपोर्ट जारी की है।
साफ-सुथरी राजनीति और आपराधिक लोगों को उससे बाहर रखने की तमाम पार्टियों के दावों की पोल एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस यानी ADR ने खोल दी है। एडीआर ने दिल्ली के चुनाव मैदान में उतरे सभी 673 उम्मीदवारों के हलफनामों की पड़ताल की है। एडीआर के मुताबिक चुनाव मैदान में उतरे सभी 637 उम्मीदवारों में से 117 के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें एएपी के 23 उम्मीदवार, बीजेपी के 27 और कांग्रेस के 21 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक केस चल रहे हैं।
ADR के मुताबिक 74 उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक केस चल रहे हैं। एक प्रत्याशी के ऊपर हत्या जबकि 5 उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज है। आपराधिक केस झेल रहे उम्मीदवारों को टिकट देने को लेकर हर पार्टी की अपनी-अपनी सफाई है।
एडीआर के मुताबिक दिल्ली में चुनाव लड़ने वाले करोड़पतियों की तादाद भी बढ़ी है। यानी चुनावी अखाड़े में उतरे कुल 673 उम्मीदवारों में से 230 उम्मीदवार करोड़पति हैं। एएपी के उम्मीदवारों की औसत सम्पत्ति पांच करोड़ नौ लाख के आसपास है। कांग्रेस के उम्मीदवारों की औसत संपत्ति नौ करोड़ 60 लाख और बीजेपी के उम्मीदवारों की औसत संपत्ति सात करोड़ 96 लाख रुपये है।
दिल्ली के सबसे अमीर उम्मीदवार अकाली दल के मनजिंदर सिंह सिरसा हैं जिनके पास 239 करोड़ रुपए की संपत्ति है जबकि सबसे गरीब उम्मीदवार सुशील कुमार मिश्रा हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति शून्य बताई है। खास बात ये है कि दिल्ली में इस बार युवा उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक है। दिल्ली के कुल 673 उम्मीदवारों में से 465 उम्मीदवारों की उम्र 25 से 50 साल के बीच है जबकि 194 उम्मीदवार 52 से 70 साल के बीच के हैं।