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New Delhi
पटना. सत्ता और प्रॉपर्टी का रिश्ता होता है? कम से कम बिहार के विधायकों के मामले में एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) और बिहार इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट तो यही कहती है। दोनों संस्थाओं ने मंगलवार को 160 विधायकों की प्रॉपर्टी को कंपयेर किया जो 2010 का चुनाव तो जीते ही थे, इस बार भी मैदान में हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट गवाह है कि जदयू के 52 विधायकों की प्रॉपर्टी सबसे ज्यादा 314% बढ़ी। दूसरे नंबर पर 155% के साथ भाजपा के 66 विधायक रहे। तीसरे नंबर पर राजद के 12 विधायक हैं। इनकी प्रॉपर्टी सिर्फ 76% बढ़ी। अब ऐसे सवालों पर बहस हो सकती है कि जदयू विधायकों की संपत्ति सबसे अधिक इसलिए बढ़ी, चूंकि उनकी पार्टी की सरकार रही? भाजपा विधायक दूसरे नंबर पर शायद इसलिए रहे कि जदयू से दोस्ती खत्म होने के बाद वे विपक्ष के विधायक हो गए थे?
ढाई गुना तक बढ़ी थी मंत्रियों की संपत्ति
एडीआर व बिहार इलेक्शन वॉच ने मंत्रियों की संपत्ति के बारे में रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक चार साल में मंत्रियों की संपत्ति ढाई गुना तक बढ़ी। औसत इजाफा 78 लाख से बढ़कर 1.36 करोड़ हुआ। चार मंत्रियों-दुलालचंद्र गोस्वामी, रमई राम, नौशाद अहमद तथा विनोद यादव की प्रॉपर्टी 200% से अधिक बढ़ी। मजे की बात तो यह कि दो मंत्रियों-मनोज सिंह कुशवाहा तथा जावेद इकबाल अंसारी की प्रॉपर्टी घट गई।
पांच साल के दौरान प्रॉपर्टी में इजाफा 13 हजार फीसदी
पांच साल में इन 160 विधायकों की औसत संपत्ति करीब 200% बढ़ी। 2010 में इनकी औसत संपत्ति 86.41 लाख रु. थी। यह 2015 तक बढ़कर 2.57 करोड़ रु. हो गई। सबसे अधिक बढ़त सुल्तानगंज से जदयू विधायक और कैंडीडेट सुबोध राय के खाते में है। उनकी प्रॉपर्टी में 13 हजार फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2010 में उनकी संपत्ति 34 हजार रुपए के करीब थी। अभी यह 45 लाख रुपए है। बिहार इलेक्शन वॉच के अनुसार हमने यह ब्योरा उम्मीदवारों द्वारा पेश शपथ पत्र के आधार पर निकाला है।