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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सूचना के अधिकार के दायरे में आने से बच रहे राजनीतिक दलों से अब सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है। चुनाव आयोग के अलावा भाजपा और कांग्रेस समेत सभी छह दलों को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा, माकपा और भाकपा को नोटिस जारी किया है।

याचिका में राजनीतिक दलों की आमदनी और खर्च का विवरण सार्वजनिक करने के लिए आदेश देने का आग्रह किया गया है। एडीआर के संस्थापक सदस्य प्रो. जगदीप एस छोकड़ और आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल की तरफ से उनके वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से यह याचिका दायर की गई थी।

दरअसल, केंद्रीय सूचना आयोग ने 2013 में सभी दलों से चंदा का हिसाब देने को कहा था, लेकिन एक दूसरे के धुर विरोधी दल इस मुद्दे पर एकमत हो गए। उन्होंने आयकर विभाग के पास सारी जानकारी होने का हवाला देकर आरटीआइ के दायरे में आने से मना कर दिया।

साथ ही कहा कि राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से नीचे के योगदान देने वाले दाताओं की सूची देने की भी जरूरत नहीं पड़ती। याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि इन राजनीतिक दलों को दान पर टैक्स नहीं देना पड़ता।

इस याचिका में सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही निर्धारित करने का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया है कि सभी राजनीतिक और क्षेत्रीय दलों को सूचना का अधिकार कानून के तहत सार्वजनिक प्राधिकार घोषित किया जाए और इस कानून के प्रावधानों के तहत सभी दायित्व पूरे किए जाएं।

याचिका में दावा किया गया है कि राजनीतिक दल चंदे और अनुदान के रूप में कारपोरेट घरानों, ट्रस्ट और व्यक्तियों से बहुत बड़ी रकम प्राप्त करते हैं, लेकिन उनके स्त्रोत के बारे में पूरी जानकारी नहीं देते हैं।

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