बिहार विधानसभा चुनावों में कौन सा दल जीतता है और किसकी हार होती है, इसका पता चलने में अभी कुछ महीने हैं, लेकिन किस तरह के उम्मीदवारों पर जनता को मतदान करना है, इसका हिसाब-किताब बाहर आ रहा है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) ने बिहार चुनाव बिहार में पहले चरण के चुनाव के लिए 583 उम्मीदवारों के स्वप्रमाणित हलफनामों का विश्लेषण करके बताया कि भारतीय जनता पाटी ने सबसे अधिक उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज है। पहले चरण का मतदान 12 अक्टूबर है।
पहले चरण में भाजपा में कुल 27 उम्मीदवारों में से 10 के ऊपर हत्या, डकैती, लूटपाट, सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के मामले दर्ज है। जबकि अपराध के मामले भाजपा के कुल 14 उम्मीदवारों पर हैं। पहले चरण में निर्दलीय उम्मीदवार भी बहुत आपराधिक छवि वाले किस्मत आजमा रहे हैं। कुछ 192 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 45 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 38 तो बेहद गंभीर किस्म के हैं।
पहले चरण में आपराधिक उम्मीदावरों को टिकट देने में भाजपा के रामविलास पासवान की पार्टी का भी जिक्र जरूरी है, क्योंकि वह एनडीए गठबंधन का हिस्सा है और पहले चरण में 13 उम्मीदवारों को उतारी है। इन 13 में से गंभीर आपराधिक मामले छह पर हैं, जबकि आपराधिक मामले आठ उम्मीदवारों पर दर्ज है। महागठबंधन के हिस्सोदार जनता दल (सेक्यूलर) के 24 उम्मीदवारों में से 9 पर गंभीर अपराध के मामले है और कुछ 11 जद (यू) के उम्मीदवारों पर अपराध के मामले हैं। लालू प्रसाद यादव के कुल 17 उम्मीदवारों में से गंभीर अपराध के मामले छह पर और अपराध के सामान्य मामले कुल आठ उम्मीदवारों पर हैं।
सबसे ज्यादा करोड़पति खड़ा करने में जद(यू) एक नंबर से आगे हैं, उसने पहले चरण में 19 करोड़पतियों को मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने 18 को। करोड़पति उम्मीदवारों को खड़ा करने में लालू यादव की पार्टी ने 11 को मौका दिया है जबकि मुलायम सिंह की पार्टी सपा ने कुछ 18 में से छह करोड़पति उम्मीदवार बनाए हैं। निर्दलीयों में करोड़पतियों की मार है, 192 में से 42 करोड़पति उम्मीदवार मैदान में हैं।