
मुंबई। आमिर खान के शो 'सत्यमेव जयते' में रविवार को राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा था। चुनाव पर काम करने वाले डॉ. मिलन वैष्णव ने 10 साल के आंकड़ों के विश्लेषण का निचोड़ रखा। बोले- सब कहते हैं बेदाग नेता चाहिए। पर चुनते दागी को ही हैं।
आंकड़ों के मुताबिक चुनाव में दागी नेताओं की जीत की संभावना बेदाग नेताओं से तीन गुना अधिक होती है। इससे पहले एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आंकड़ा पेश किया। लोकसभा के 543 में से 162 सांसदों पर आपराधिक मामले हैं। 76 पर तो हत्या और डकैती जैसे आरोप हैं। विधानसभाओं की स्थिति भी ऐसी ही है। देश में कुल 4032 विधायक हैं। इनमें से 31 फीसदी पर मुकदमे दर्ज हैं। एडीआर ने भी कहा कि ऐसे लोग इसलिए संसद और विधानसभाओं में जाते हैं क्योंकि लोग ही उन्हें चुनकर भेजते हैं।
केस की सूचना न देनी पड़े इस पर सभी राजी
एडीआर ने बताया कि एक भी दल इस बात पर राजी नहीं था कि प्रत्याशी अपने आपराधिक पृष्ठभूमि बताए। आखिरकार 1999 में एडीआर ने दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्जी लगाई। कोर्ट ने पक्ष में आदेश भी दिया। लेकिन केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। फिर 22 दलों ने बैठक कर जनप्रतिनिधित्व कानून बदल दिया। एडीआर फिर सुप्रीम कोर्ट गया। कोर्ट ने 13 मार्च 2003 को फैसला सुनाया कि सभी प्रत्याशी हलफनामा दाखिल कर ये बताएं कि उन पर कोई आपरधिक केस तो नहीं चल रहा है।
कैसे-कैसे नेता : दो कहानी
1- मप्र. के छतरपुर की
विधायक ने नातिन से दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी। नाम है भैयाराजा। दो बार विधायक रहा। 115 मुकदमे हुए। 85 अब भी चल रहे हैं। पीडि़ता के पिता मृगेंद्र सिंह बुंदेला ने बताया कि बेटी को भोपाल पढऩे के लिए भेजा। भैयाराजा उसका नाना है। उसे सपा ने तो उसकी पत्नी आशारानी को कांग्रेस ने टिकट दिया। बुंदेला ने हार नहीं मानी, लड़ते रहे और भैयाराजा को उम्र कैद हुई।
2- बिहार के पूर्णिया से
14 जून 1998 को बिहार के पूर्णिया में विधायक अजित सरकार की हत्या कर दी गई थी। उनके बेटे अमित ने बताया- 'पिताजी चार बार विधायक रहे। 600 रुपए के किराए के मकान में रहते थे। जमींदारों से नहीं बनी तो उन लोगों ने पूर्णिया के पूर्व सांसद पप्पू यादव से मिलकर हत्या करवा दी। 107 गोली मारी थी। लोअर कोर्ट ने उन्हें सजा भी हुई। लेकिन हाईकोर्ट ने बरी कर दिया।
एक आदमी खड़ा हो जाए तो तंत्र हिला दे
बिहार के पूर्व डीजीपी डीएन गौतम ने बताया कि कानून की किताब अब शैतान की किताब बन गई है। अपराधी, नेता और कारोबारियों का कॉकटेल कानून को शीर्षासन करवा रहा है। नेता ही पुलिस पर गलत करने के लिए दबाव डालता है। अब ये कैंसर बन चुका है। पर गौतम ने आम लोगों की ताकत में भरोसा भी जताया। कहा- एक भी आदमी अगर ताकत के साथ खड़ा हो जाए तो पूरा तंत्र हिल जाता है।
अमिर ने पूछा सवाल
क्या आप चाहते हैं कि दागी उम्मीदवारों को चुनाव में खड़े होने सेे रोका जाए? क्या आप कसम खाते हैं कि अपना वोट नहीं बेचेंगे और दागी नेताओं को वोट नहीं देंगे।