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New Delhi
नई दिल्ली. देश की पॉलिटिकल पार्टियां और सांसद दोनों ही देश को गुमराह कर रहे हैं। चुनाव खर्च संबंधी डिटेल को देखे तो पता चलता है कि लगभग सभी पार्टियां और उनके सांसदों ने इलेक्शन कमीशन को गलत जानकारी दी है। यह खुलासा बुधवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने किया है। 2014 के चुनाव में खर्च हुई राशि से यह सच्चाई सामने आई है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई और सीपीएम समेत 14 दलों के खर्च का ब्योरा निकाला गया है। इससे पता चलता है कि सांसदों और पार्टियों के एफिडेविट में अलग-अलग बात है।
कितने सांसदों का किया गया एनालिसिस?
एडीआर ने 543 में से 539 सांसदों की एक्सपेंसेस की रिपोर्ट का एनालिसिस किया है। एजेंसी का कहना है कि राष्ट्रीय दलों के 342 सांसदों में से 263 सांसदों ने बताया है कि उनको अपनी पार्टी से कुल 75.80 करोड़ रुपए मिले। जबकि राष्ट्रीय दलों ने खर्च ब्यौरे में कहा है कि उन्होंने 175 सांसदों को 54.30 करोड़ रुपए दिए हैं। वहीं 14 बड़ी पार्टियों के 38 सांसदों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उन्हें अपनी पार्टी से जीरो या अलग-अलग रकम दी है। जबकि यह राशि दलों द्वारा दिए गए चुनाव खर्च में सांसदों को दी गई फंडिंग से अलग है। यानी सांसद या उनकी पार्टी में से कोई एक गलत जानकारी दे रहा है।
बीजेपी
पार्टी ने चुनाव आयोग को दी जानकारी में कहा कि उसने पार्टी के 282 में से 159 सांसदों को करीब 48.25 करोड़ रुपए चुनाव खर्च दिया था। जबकि पार्टी के 229 मौजूदा सांसदों को कहना है कि उन्हें पार्टी से चुनाव लड़ने की खर्च मिला। यह राशि 6,588 लाख रुपए होती है।
कांग्रेस 
कांग्रेस ने कहा कि उसने पार्टी के 44 सांसदों में से सात सांसदों को 2.70 करोड़ रुपए दिया। यानी हरेक सांसद को 10 लाख से ज्यादा राशि मिली। जबकि एफिडेविट में पार्टी के 18 सांसदों ने दावा किया है कि उन्हें पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए खर्च मिला। यह राशि 4.03 करोड़ रुपए होती है।
एनसीपी
पार्टी ने कहा कि जीतकर आए उसके छह सांसदों में पांच को करीब 250 करोड़ रुपए दिए थे। यानी प्रत्येक सांसद ने 10 लाख रुपए से ज्यादा की राशि पाई। जबकि उसे छहों सांसदों को कहना है उसे पार्टी से फंडिंग मिली। यह राशि 279 लाख होती है।
सीपीआई
पार्टी का एक सांसद है। पार्टी का कहना है एक भी पैसा नहीं दिया गया। जबकि उनकी पार्टी के सांसद का कहना है कि उसे पार्टी से करीब 22 लाख मिले। इससे स्पष्ट है कि या तो पार्टी या उनके उम्मीदवार में कोई एक अपने एफिडेविट में सच नहीं बोल रहा है।

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