Skip to main content
Source
Dainik Bhaskar
Date
City
New Delhi
कानून के मुताबिक, सभी राजनीतिक दल को चंदे का पूरा ब्यौरा देना होगा, लेकिन एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में करीब 11.14 करोड़ रुपए मिले हैं। इस राशि के दानदाताओं के नाम और पते नहीं है। 
 
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (ADR) की ताजा रिपोर्ट कहती है कि 2012-13 में राजनीतिक दलों को 703 अज्ञात दानदाताओं से कुल 11.14 करोड़ रुपए का चंदा मिला। दानदाताओं के नाम और पते का उल्लेख नहीं है, जो कि कानूनन होना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक, 2012-13 में सभी राजनीतिक दलों को कुल 991.2 करोड़ रुपए चंदा मिला, जिसमें से सबसे ज्यादा चंदा 425.69 करोड़ रुपए कांग्रेस को मिले, जबकि भारतीय जनता पार्टी को 324.16 करोड़ रुपए मिले। इसी तरह बहुजन समाज पार्टी को बतौर चंदा 87.63 करोड़ रुपए, एनसीपी को 26.56 करोड़ और सीपीआई को 1.07 करोड़ रुपए मिले। 
 
टोरेंट ने कांग्रेस को, बिरला ने बीजेपी को दिया सबसे ज्यादा चंदा-  
रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस को चंदा देने वालों में टोरेंट पॉवर लिमिटेड सबसे अव्वल रहा, जिसने 3.5 करोड़ रुपए दिए। इसी तरह टोरेंट फार्मास्युटिकल्स ने 1.5 करोड़ और हैदराबाद इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 50 लाख रुपए चंदे के रूप में दिए। वहीं बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा देने वालों में देश के प्रमुख औद्योगिक समूह आदित्य बिरला समूह ने 7.5 करोड़ रुपए दिए। इसके बाद लोधा ड्यूलर्स प्राइवेट लिमिटेड है, जिसने 6.99 करोड़  रुपए का चंदा दिया। सीपीआई को भारतीय खेत मजदूर यूनियन ने सर्वाधिक 4.2 लाख रुपए चंदा दिया। 
 
43 दानदाताओं की जानकारी नहीं दी -
रिपोर्ट कहती है कि पार्टियों को दान देने वाले 43 दानदाताओं ने 29 लाख रुपए का चंदा पूरी जानकारी के साथ दिया, लेकिन पार्टियों ने इसे घोषित नहीं किया, जिसके कारण दानदाताओं के नाम, पते और संगठन की जानकारी नहीं मिल सकी। इसी तरह 655 दानदाताओं ने 10.84 करोड़ रुपए राष्ट्रीय पार्टियों को दिए, लेकिन उनके नाम पते का उल्लेख भी पार्टियों ने नहीं किया। 3775 दानदाताओं में से 2371 ऐसे भी थे, जिन्होंने 37.64 करोड़ का चंदा तो पार्टियों को दिया, लेकिन चंदे के फार्म पर अपना पैन नंबर नहीं दिया।
 
क्या कहता है कानून- 
जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की 29सी के तहत प्रत्येक राजनीतिक दल को 20000 रुपए से ज्यादा के चंदे पर दानदाता व्यक्ति या कंपनी का उल्लेख किया जाना जरूरी है।