चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयास के तहत राजनीतिक दलों को दी जाने वाली नकद राशि के विकल्प के तौर पर बॉण्ड की शुरुआत की गयी है. सुप्रीम कोर्ट चुनावी बॉण्ड के जरिये राजनीतिक दलों को धन उपलब्ध कराने की अनुमति संबंधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट चुनावी बॉण्ड के जरिये राजनीतिक दलों को धन उपलब्ध कराने की अनुमति संबंधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा. चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयास के तहत राजनीतिक दलों को दी जाने वाली नकद राशि के विकल्प के तौर पर बॉण्ड की शुरुआत की गयी है. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) तथा अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर सकती है.
प्रशांत भूषण ने उठाया था मामला
एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने गत पांच अप्रैल को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और कहा था कि यह मामला बहुत ही गंभीर है तथा इसकी त्वरित सुनवाई की जरूरत है. उस वक्त शीर्ष अदालत ने एनजीओ की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी, लेकिन इसे अब तक सूचीबद्ध नहीं किया जा सका था. सरकार ने चुनावी बॉण्ड योजना दो जनवरी 2018 को अधिसूचित की थी.
क्या है चुनावी बॉन्ड योजना
चुनावी बॉन्ड योजना के प्रावधानों के अनुसार, यह बॉन्ड किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा खरीदा जा सकता है, जो भारत का नागरिक है या यहां पर रहता है. जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के तहत रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी ही चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा ले सकती है. हालांकि, इसके लिए पार्टी को पिछले राज्य विधानसभा चुनाव में कम-से-कम एक प्रतिशत वोट मिलना अनिवार्य शर्त है. पार्टी को किसी आधिकारिक बैंक में खातों के जरिये ही बॉन्ड का भुगतान किया जा सकता है.
चुनावी बॉन्ड बिना किसी अधिकतम सीमा के 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के रूप में जारी करता है. एसबीआई इन बॉन्डों को जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत बैंक है. ये बॉन्ड जारी करने की तारीख से पंद्रह दिनों तक वैध रहते हैं.
2018 में जारी की गयी थी चुनावी बॉन्ड योजना
केंद्र सरकार ने 2 जनवरी 2018 को इस चुनावी बॉण्ड या इलेक्ट्रोल बॉन्ड योजना की अधिसूचना जारी की थी. इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति एसबीआई से चुनावी बॉन्ड खरीद कर किसी भी राजनीतिक दलों को फंड कर सकता है. इस तरह का बॉन्ड खरीदने पर बैंक को ड्राफ्ट या चेक के जरिए भुगतान करना होता है.