देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. कुछ दिन बाद ही नतीजे आने वाले हैं. उससे पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार, पांचों राज्यों में चुनाव लड़ने वाले करीब 18 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. जबकि 29 प्रतिशत 'करोड़पति' हैं.
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. चार राज्यों में वोटिंग हो गई है. गुरुवार को तेलंगाना में मतदान होना है. 3 दिसंबर को नतीजे आएंगे. इससे पहले एक रिपोर्ट में सामने आया कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ रहे करीब 18 प्रतिशत उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड है. यानी इन उम्मीदवारों ने चुनावी हलफनामे में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. जबकि 29 फीसदी उम्मीदवारों ने बताया कि वो 'करोड़पति' हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की है. ADR ने मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव मैदान में 8,054 उम्मीदवारों में से 8,051 के हलफनामों (स्व-घोषित शपथ पत्र) की जांच की. एनालिसिस किए गए 8,051 उम्मीदवारों में से 2,117 राष्ट्रीय पार्टियों से हैं. जबकि 537 क्षेत्रियों दलों से, 2,051 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों से और 3,346 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
'12 प्रतिशत उम्मीदवारों पर गंभीर केस'
रिपोर्ट के मुताबिक, 1,452 उम्मीदवारों (18%) के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. जबकि 959 (12 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. 22 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ हत्या से संबंधित मामले घोषित किए हैं. 82 ने हत्या के प्रयास से संबंधित मामले घोषित किए हैं. 107 ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले घोषित किए हैं. इसमें कहा गया है कि 2,371 (29 प्रतिशत) उम्मीदवार 'करोड़पति' हैं. यानी उन उम्मीदवारों के पास 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. ऐसे उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3.36 करोड़ रुपये है.
'सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं'
रिपोर्ट में कहा गया कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया है. राजनीतिक दलों ने फिर से दागी उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी परंपरा का पालन किया है. सभी प्रमुख दल चुनाव लड़ रहे हैं. पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है जिन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
'राजनीतिक दलों ने आपराधिक उम्मीदवारों का बचाव किया'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 के अपने निर्देशों में राजनीतिक दलों को ऐसे उम्मीदवारों के चयन के लिए कारण बताने का निर्देश दिया था और पूछा था कि बिना आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को चुनावी उम्मीदवार के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है. यह भी देखा गया कि राजनीतिक दलों ने आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों का खुलकर बचाव भी किया. इन उम्मीदवारों को मैदान में उतारने से पहले उनकी लोकप्रियता और सामाजिक कार्य गिनाए. आपराधिक मामलों को राजनीति से प्रेरित बताकर बचाव किया.
'पार्टियों को चुनाव सुधार में दिलचस्पी नहीं'
रिपोर्ट में कहा गया है, दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए ठोस कारण नहीं हैं. यह डेटा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि राजनीतिक दलों को चुनावी प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और हमारा लोकतंत्र कानून तोड़ने वालों के हाथों में चला जाता है और वो कानून निर्माता बन जाते हैं.
ADR ने यह भी बताया है कि छत्तीसगढ़ के तीन उम्मीदवारों के शपथ पत्र स्पष्ट नहीं होने के कारण उनका एनालिसिस नहीं किया जा सका.
राज्य | कुल उम्मीदवार | एनालिसिस किए गए उम्मीदवारों की संख्या |
मिजोरम | 174 | 174 |
छत्तीसगढ़ | 1181 | 1178 |
मध्य प्रदेश | 2534 | 2534 |
राजस्थान | 1875 | 1875 |
तेलंगाना | 2290 | 2290 |