देश में जब भी लोकतंत्र की बात होती है तो धन और बाहुबल की चर्चा होती रही है। लेकिन अब स्थितियां बदल रही है और चुनावी राजनीति में करोड़पतियों के साथ-साथ अधिक पढ़े लिखे लोग भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। लोकसभा चुनाव आधे से अधिक उम्मीदवार स्नातक या इससे अधिक शिक्षित है। वहीं, चुनावी मैदान में 31 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं। इसका खुलासा, भारतीय राजनीति और चुनाव पर नजर रखने वाली गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) द्वारा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के निर्वाचन आयोग में दिए गए हलफनामे के विश्लेषण के आधार पर तैयार रिपोर्ट में किया है। इस रिपोर्ट में, कहा गया है कि दोबारा चुनाव लड़ रहे 324 सांसदों की संपत्तियों में 43 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
एडीआर की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 18वीं लोकसभा के गठन के लिए 7 चरणों में हो रहे चुनाव में कुल- 8360 उम्मीदवार मैदान में हैं और इनमें से 8337 के हलफनामे में विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में कहा है कि कुल उम्मीदवारों में से 4211 उम्मीदवार यानी 51 फीसदी उच्च शिक्षित हैं। यानी 51 फीसदी उम्मीदवार स्नातक या इससे अधिक पढ़े लिखे हैं। जबकि 3482 यानी 42 फीसदी उम्मीदवारों की शिक्षा पांचवीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक की है। एडीआर की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 292 उम्मीदवार डिप्लोमा धारक हैं जबकि 217 महज साक्षर हैं और 121 उम्मीदवार निरक्षर हैं।
करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या में दो फीसदी बढ़ोतरी, 2024 में 31 फीसदी करोड़पति चुनावी मैदान में
रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में 2572 उम्मीदवार यानी 31 फीसदी करोड़पति उम्मीदवार हैं। जबकि 2019 की लोकसभा में करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या 29 फीसदी थी। यानी पिछली लोकसभा चुनाव की तुलना में 2024 में करोड़पति उम्मीदवार की संख्या में 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय दलों की तुलना में क्षेत्रीय दलों ने अधिक करोड़पति उम्मीदवार को चुनाव में टिकट दिया है। राष्ट्रीय दलों के 68 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं, जबकि क्षेत्रीय दलों के 79 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं। वहीं, पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों ने 22 फीसदी और 17 फीसदी निर्दलीय उम्मीदवार करोड़पति हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 फीसदी उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 5 करोड़ या इसे अधिक है, जबकि 9 फीसदी उम्मीदवारों की संपत्ति 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपये के बीच में हैं। एडीआर ने कहा है कि चुनाव लड़ रहे 21 फीसदी उम्मीदवारों की संपत्ति 50 लाख से 2 करोड़ रुपये के बीच में जबकि 26 फीसदी की संपत्ति 10 लाख से 50 लाख रुपये के बीच में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 32 फीसदी ऐसे उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं जिनके पास 10 लाख से भी कम संपत्ति है।
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दोबारा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे 324 सांसदों की संपत्ति में पिछले पांच सालों में औसतन 43 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया है कि 2019 में इन सांसदों की औसत संपत्ति करीब 21.55 करोड़ रुपये थी, जबकि मौजूदा चुनावी चक्र में औसत संपत्ति का मूल्य बढ़कर 30.88 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले पांच सालों में 43 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 9.33 करोड़ रुपये की वृद्धि को दर्शाता है।
आपराधिक छवि वाले 20 फीसदी उम्मीदवार लड़ रहे हैं चुनाव
लोकसभा चुनाव में कुल उम्मीदवार 8360 में से 1643 यानी 20 फीसदी उम्मीदवार आपराधिक छवि वाले हैं और उनके आपराधिक मामले में दर्ज हैं। इनमें से 1191 यानी 14 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों में शामिल होने के आरोप में मुकदमा दर्ज है। 2009 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 2024 में 5 फीसदी अधिक आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय दलों की तुलना में क्षेत्रीय दलों में आपराधिक छवि वाले नेताओं को अधिक टिकट दिया है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय दलों ने जहां 33 फीसदी आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को चुनाव में टिकट दिया है, वहीं, क्षेत्रीय दलों ने 47 फीसदी, गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों ने 16 फीसदी और 14 फीसदी आपराधिक छवि वाले निर्दलीय भी चुनाव मैदान में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस ने 44 फीसदी, भाजपा 43 फीसदी, बसपा 13 फीसदी और सीपीआई (एम) ने 63 फीसदी आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया।